संस्कृत में ज्ञान व विज्ञान का अपार भंडार समाहितः आचार्य बालकृष्ण
हरिद्वार । पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत में ज्ञान व विज्ञान का अपार भंडार समाहित है। वर्तमान दौर में इसके ज्ञान को दैनिक जीवन में अपनाये जाने की आवश्कता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में केन्द्र सरकार नई भारतीय शिक्षा नीति में भारतीय संस्कृति व संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित किये जाने के कार्य पर जोर दे रही है। जिसके परिणाम निश्चय ही देश की भावी पीढी के लिए हितकारी साबित होगें। गुरुकुल गडी विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संस्कृत संवर्धन कार्यशाला में मुख्य अतिथि आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि संस्कृत में निहित ज्ञान को विज्ञान को शोध के माध्यम से दुनिया के सामने लाया जा सकता है। मुख्य वक्ता शिक्षा सस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली के सचिव अतुल कोठारी ने कहा कि आज देश में जहां संस्कृत भाषा उपेक्षा का दंश झेल रही है, वही विदेशों में र्कइं देश इस भाषा की प्रमाणिकता को स्वीकार कर इसे अपना रहे है। विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. पी0सी0 जोशी ने कहा कि निश्चित रूप से दो दिनों तक चलने वाले इस ज्ञान मंथन से अमृतरूपी कलश निकलकर अवश्य आयेगा जो हमारी भावी पीढ़ी के भविष्य को उज्जवल करेगा। संस्कृत विभाग के अध्यक्ष प्रो. सोमदेव शतांशु ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया एवं उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में 225 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण करवाया एवं आज 5 सत्र संचालित होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनोद कुमार ने कहा कि संस्कृत भाषा को प्रोत्साहित किये जाने की दिशा में अपने घरो ही संस्कृत बोलने की शुरूआत की जानी चाहिए। संस्कृत में विभिन्न ऐसे मंत्रो का भंडार है, जिनके माध्यम से हमें हमारे दैनिक कार्यो को करने की ऊर्जा मिलती है। इस कार्यशाला में प्रो0 ऋषभ प्रसाद सैन, ईश्वर दयाल कंसल, प्रो0 रामनाथ झा, प्रो0 नरेश धीमान, प्रो.रूपकिशोर शास्त्री ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर प्रो0 एल0पी0 पुरोहित, प्रो0वी0के0 सिंह, प्रो0 सोहनपाल सिंह आर्य, प्रो0 पी0पी0पाठक, डा0 पवन, डा0 संदीप उपाध्याय, प्रवीण, प्रकृति, संदीप उनियाल, प्रदीप, इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन प्रो0 ब्रह्मदेव एवं डा0 मौहर सिंह मीणा ने किया।