सीएम हरीश रावत बदले की भावना से कर रहे काम : हरक सिंह रावत
देहरादून। कांग्रेस से बागी होकर भाजपा का दामन थामने वाले पूर्व मंत्री डा. हरक सिंह रावत ने सीएम हरीश रावत पर आरोप लगाया है कि उन्होंने बदले भावना से उनकी सहसपुर की जमीन के मामले की जांच एसआईटी को सौंपी है, जबकि सहसपुर थाने की पुलिस वर्षों पूर्व दर्ज हुए मुकदमे में अपनी फाइनल रिपोर्ट लगाकर स्पष्ट लिख चुकी है कि जमीन की पावर आॅफ अटार्नी उसकी मालकिन ने अपने जीवित होते ही करायी थी। हरक सिंह ने मुख्यमंत्री हरीश रावत को चुनौती दी कि यदि उनमें दम है तो वह अपनी और उनकी सम्पत्तियों की सीबीआई जांच कराने की संस्तुति कर दें, उससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। राजधानी देहरादून में आयोजित पत्रकार वार्ता में हरक सिंह रावत ने कहा कि मुख्यमंत्री हरीश रावत बदले की भावना व जानबूझ कर उनकी सहसपुर की जमीन की जांच एसआईटी से करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पांच दिसम्बर 2002 को सुशीला रानी ने दिल्ली सरकार के सब रजिस्टार कार्यालय में अपनी जमीन की पावर आॅफ अटार्नी विरेन्द्र कण्डारी के नाम पर की थी और 31 मार्च 2004 को विरेन्द्र कण्डारी से यह जमीन दीप्ति रावत ने खरीदी थी। उन्होंने कहा कि रमेश पोखरियाल निशंक के मुख्यमंत्रीत्व कार्यकाल में 19 अप्रैल 2011 को सहसपुर थाने में विरेन्द्र कण्डारी के खिलाफ जमीन को हड़पने को लेकर मुकदमा कायम किया गया था, इसमें सहसपुर पुलिस ने अपनी अन्तिम रिपोर्ट यह कहकर लगायी थी कि सुशीला रानी की मौत 1974 में नहीं बल्कि 2005 में हुई थी और उनके जीवित काल में ही यह पावर आॅफ अटार्नी हुई थी। जबकि यह आरोप लगा था कि सुशीला रानी की मौत 1974 में हो गयी थी और फर्जी रूप से 2002 में यह पावर आॅफ अटर्नी बनायी गयी थी। हरक सिंह रावत ने कहा कि सुशीला रानी का एक मुकदमा दिल्ली उच्च न्यायालय चल रहा था जिसमें साफ आदेश किये गये थे कि सुशीला रानी और सावित्री देवी एक ही महिला हैं। उन्होंने बताया कि जब विरेन्द्र कण्डारी व उनका एक साथी सहसपुर थाने में दर्ज मुकदमें में गिरśतारी पर रोक लगाने के लिए गया था तो उच्च न्यायालय ने भी यह मामला यह कहकर खारिज कर दिया था कि पुलिस ने अपनी जांच में फाइनल रिपोर्ट लगा दी है।