Breaking News:

देहरादून : रंगोली और बैनर प्रतियोगिता का आयोजन उज्जवल शिखर जनकल्याण ट्रस्ट द्वारा किया गया -

Monday, November 18, 2024

उत्तराखंड के सभी स्कूलों में पढ़ाई और छुट्टियों का समय होगा एक समान, जानिए खबर -

Monday, November 18, 2024

देहरादून : राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर जिला सूचना कार्यालय में गोष्ठी का हुआ आयोजन -

Monday, November 18, 2024

बच्चों को भिक्षावृत्ति से हटाकर शिक्षा से जोड़ा जाएगा: डीएम देहरादून -

Sunday, November 17, 2024

देहरादून में साउथ अफ्रीका की छात्रा के साथ सूडान के छात्र के किया बलात्कार, मुकदमा दर्ज -

Sunday, November 17, 2024

केदारनाथ सीट पर उपचुनाव में मुकाबला हुआ रोचक, जानिए खबर -

Sunday, November 17, 2024

महाभियान का शुभारम्भ, जानिए खबर -

Sunday, November 17, 2024

हम सब ने यह ठाना है इस अभियान को बढ़ाना है “ना ड्रग्स लेंगे और ना लेने देंगे” -

Sunday, November 17, 2024

डा चतुर्वेदी द्वारा स्वामी राम तीर्थ परिसर स्थित लाइब्रेरी में पुस्तक भेट किया -

Friday, November 15, 2024

ऋषिकेश में बाइक हादसे में यूट्यूबर की मौत, दूसरा युवक गंभीर रूप से घायल -

Wednesday, November 13, 2024

बेरोजगार आंदोलन को फंडिंग करने वालों व पत्थरबाजों को बेनकाब करो सरकारः मोर्चा -

Wednesday, November 13, 2024

40 हजार को बता दिया 400 करोड़ का घोटालाः अनिल कुमार यादव -

Tuesday, November 12, 2024

जरा हटके : नेशनल गेम्स के कैंप को लेकर संघ और विभाग आमने-सामने -

Tuesday, November 12, 2024

उत्तराखंड : बॉबी पंवार ने ऊर्जा विभाग में हुई नियुक्तियों पर उठाये गंभीर सवाल -

Tuesday, November 12, 2024

सचिवालय में वरिष्ठ IAS अधिकारी के साथ बॉबी पवार ने की गुंडागर्दी, जानिए खबर -

Thursday, November 7, 2024

दिव्यंगता : जागरूकता अभियान के तहत निशुल्क शिविर का आयोजन -

Thursday, November 7, 2024

मयंक महर और महक बिष्ट को सर्वश्रेष्ठ एथलीट का खिताब, जानिए खबर -

Thursday, November 7, 2024

16 नवंबर को दून कप स्टेट फुटबाल चैंपियनशिप का होगा शुभारम्भ -

Sunday, November 3, 2024

आम आदमी पार्टी देहरादून महानगर ने शुरू की नगर निगम चुनाव की तैयारी -

Saturday, November 2, 2024

पहचान : समाज के लिए प्रेरणास्रोत दिव्यांग लोगों को किया गया सम्मानित -

Saturday, October 26, 2024



हरिद्वार में ‘‘ज्ञान कुम्भ’’ का शुभारम्भ

cm

हरिद्वार | पतंजलि विद्यापीठ में उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा उच्चतर शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन ‘‘ज्ञान कुम्भ’’ का शुभारम्भ हुआ। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इसका विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, नागालैण्ड के राज्पाल पी.बी.आचार्य, उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ. धन सिंह रावत, स्वामी रामदेव, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा सहित विभिन्न राज्यों के शिक्षा मंत्री, विश्वविद्यालयों के कुलपति, शिक्षाविद व विद्यार्थी उपस्थित थे। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश में सदियों से धार्मिक कुम्भ की परम्परा रही है। हरिद्वार, कुम्भ के आयोजन की पावन भूमि रही है। उन्होंने उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित ज्ञान कुम्भ को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सार्थक पहल बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा ही व्यक्ति, परिवार, समाज व देश की प्रगति का आधार होती है। देश के संविधान में शिक्षा की जिम्मेदारी, केंद्र व राज्य दोनों को दी गई है। ज्ञान कुम्भ द्वारा उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए केंद्र व राज्यों में नया समन्वय स्थापित हो रहा है, उत्तराखण्ड ने इसका उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ज्ञान कुम्भ में विभिन्न सत्रों में सार्थक व उपयोगी विमर्श होगा जिससे उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए सहायता मिलेगी। राष्ट्रपति ने कहा कि गुणात्मक शिक्षा में शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका है। हर बच्चे में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है, उस प्रतिभा को तलाशने व निखारने का काम शिक्षकों व शिक्षण संस्थानों का होता है। यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी बच्चा गरीबी या किसी भी कारण से शिक्षा के अवसर से वंचित न रहे। ज्ञान के साथ संस्कारों के बीज भी रोपित करना शिक्षकों की जिम्मेवारी है। परंतु यह काम वही शिक्षक कर सकते हैं जिनमें स्वयं त्याग व संवेदनशीलता हो। राष्ट्रपति ने कहा कि हमारे देश में आदर्श शिक्षकों के अनेक प्रेरक उदाहरण हैं। शिक्षा व नैतिकता के बल पर राष्ट्र निर्माण में आचार्य चाणक्य, सभी शिक्षकों के लिए अनुकरणीय है। राष्ट्रपति ने बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के अध्यापक डाॅ. अम्बेडकर के साथ ही डाॅ. एस. राधाकृष्णन, महामना मदन मोहन मालवीय व डाॅ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन से सीख लेने की बात कही। राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने कहा कि कुम्भ नगरी हरिद्वार में ज्ञान कुम्भ का आयोजन निश्चित रूप से राष्ट्रीय शैक्षिक परिदृश्य के लिए हितकारी होगा। इस ज्ञानकुम्भ के आयोजन का मुख्य उद्देश्य आधुनिक चुनौतियों और आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उच्च शिक्षा के स्तर में सुधार लाना है। ज्ञानकुम्भ से प्राप्त ज्ञान रूपी अमृत, देश को एक नई दिशा प्रदान करेगा। राज्यपाल ने कहा कि भारतवर्ष जिन महान मूल्यों और संस्कारों के लिए जाना जाता है, आज शिक्षा में उनका समावेश करने की आवश्यकता है। भारत में प्राचीन काल से ही शिक्षा एवं शिक्षण कार्य को पवित्र कार्य माना जाता रहा है। भारत में गुरू की महत्ता माँ-बाप और ईश्वर से बढ़कर बताई गई है। सैकड़ों वर्ष पूर्व भी भारत में नालन्दा-तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय थे, जहाँ देश विदेश से विद्यार्थी पढ़ने आते थे। जब विश्व के तमाम देश अज्ञानता की निद्रा में सोये थे तब भारत में ज्ञान का सूर्य पूरी आभा के साथ चमक रहा था। आज तकनीक का समय है। प्रत्येक क्षेत्र में तेजी से बदलाव आ रहे हैं। इसलिए विश्वविद्यालयों को अपनी पाठ्यसामग्री को भी लगातार अपडेट करते रहने की जरूरत है ताकि इनकी उपयोगिता सिद्ध हो सके। शिक्षण विधियों में सरलता व गुणवत्ता लाने के लिए स्मार्ट और वर्चुअल क्लासेस, ई-लाईब्रेरी आदि की व्यवस्था आज की आवश्यकताएँ बन गयी हैं। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता का एक मापदण्ड उसका रोजगारपरक होना भी है। इसके साथ ही विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। पारम्परिक पाठ्यक्रमों के साथ कम्यूनिकेशन स्किल और पर्सनैलिटी डेवलपमेंट को भी पाठ्यवस्तु में स्थान दिया जाना चाहिए। संस्कृत भाषा पर भी विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए हम सब को मिलकर प्रयास करने होंगे। मुख्यमंत्री  त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि ज्ञानकुम्भ का आयोजन उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासक पहल है। इसमें होने वाले वैचारिक मंथन से जो अमृत निकलेगा वह देश की उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार लाने में महत्वपूर्ण साबित होगा। शिक्षा एक ऐसा धन होता है जिसे न तो चुराया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है। शिक्षा के माध्यम से अंधकार को दूर कर ज्ञान रूपी प्रकाश फैलाया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान मे देश में 903 विश्वविद्यालय हैं और 39 हजार काॅलेज हैं। आज आवश्यकता ग्रामीण क्षेत्रों में गुणात्मक उच्च शिक्षा उपलब्ध कराने की है। उच्च शिक्षा में शोध को बढ़ावा देना होगा।

Leave A Comment