हाईकोर्ट ने 23 निकायों के सीमा विस्तार की अधिसूचना रद्द की
हाईकोर्ट ने आज 23 नगर निकायों के सीमा विस्तार की अधिसूचना रद्द कर दी है। राज्यपाल की जगह शहरी विकास सचिव के स्तर पर किए जाने को फैसले का आधार बनाया गया है। सरकार डबल बेंच में इस फैसले को चुनौती देगी। सरकार ने साफ किया है कि उसने इस मामले उसी प्रक्रिया को अपनाया है, जो राज्य बनने के बाद से अपनाई जा रही है। सीमा विस्तार को लेकर इस मुकदमे बाजी से पहले से विलंबित निकाय चुनावों का और लटकना तय हो गया। कोर्ट ने कहा है कि परिसीमन की कार्रवाई लोगों पर थोपी नहीं जा सकती। कोर्ट के फैसले के बाद निकाय चुनावों को लेकर असमंजस बढ़ गया है। इधर, राज्य सरकार एकलपीठ के इस फैसले के खिलाफ विशेष अपील दायर करने की तैयारी में है। पांच अप्रैल को सरकार ने प्रदेश के 41 नगर निकायों के परिसीमन की अधिसूचना जारी की थी। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया कि संविधान के तहत परिसीमन संबंधी अधिसूचना जारी करने का अधिकार राज्यपाल को है। लेकिन सरकार ने राज्यपाल की मंजूरी या संस्तुति के बिना परिसीमन संबंधी अधिसूचना जारी कर दी। एकलपीठ ने राज्य निर्वाचन आयोग की सरकार को चुनाव कराने के निर्देश देने की मांग करती हुई याचिका पर भी सुनवाई की। आयोग के अधिवक्ता संजय भट्ट ने अदालत से कहा कि अब जब परिसीमन की अधिसूचना रद हो गई है तो अदालत सुप्रीम कोर्ट के किशन सिंह तोमर बनाम सुप्रीम कोर्ट से संबंधित मामले में दिए गए फैसले के अनुसार चुनाव कराने की अनुमति प्रदान करे। कोर्ट ने इस पर सरकार का रुख जानना चाहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 22 मई नियत की गई है।