ज्योति चाहर ने ब्लॉगिंग से जीती दुनिया
यह सत्य है जहां चाह वहां राह और इसको सच किया है ज्योति चाहर ने | बेहद बुरे वक्त में भी हिम्मत नहीं हारी और अपने पैशन को ही प्रोफेशन बना लिया अगर आप वाकई कुछ कर गुज़रना चाहते हैं तो आपके लिए रास्ते अपने आप बनते चले जाते हैं. ऐसा ही कुछ हुआ ज्योति चाहर के साथ, ज्योति चाहर का परिवार 90 के दशक में हरियाणा के एक छोटे से गांव से आकर दिल्ली के नज़फगढ़ इलाके में बस गया. यह वह दौर था जब उनके यहां बेहद कम उम्र में ही लड़कियों की शादी कर दी जाती थी. चार भाई-बहनों में सबसे बड़ी ज्योति के कंधों पर परिवार जिम्मेदारियों का बोझ था. जल्द से जल्दी नौकरी ढूंढन उनकी सबसे बड़ी चुनौती थी. नौकरी न मिलने की सूरत में घरवाले रिश्तेदारों और पड़ोसियों के दबाव में उनकी भी शादी करा देते. हालांकि उनके घरवालों ने उन्हें आगे पढ़ाने का फैसला लिया. ग्रेजुएशन करने के बाद ज्योति ने 6-7 महीने बिना पैसों के ही काम किया. आखिरकार उन्हें एक नौकरी मिली जिससे किसी तरह गुज़ारा चल रहा था. ज्योति अपने हालातों से जूझ ही रही थीं कि किस्मत ने उन्हें सबसे बड़ा झटका दे दिया जिससे संभल पाना आसान नहीं था.