‘न्यूज पेपर वाला’ से इंटरनैशनल गोल्ड मेडल विनर बॉक्सर बनने का सुनहरा सफर
ई दिल्ली | बिना कुछ किये जय जय कार नहीं होती ‘कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती…’ यह कहावत मकरान कप में गोल्ड मेडल जीतकर इंटरनैशनल बॉक्सिंग में भारत का मान बढ़ाने वाले दीपक भोरिया पर सटीक बैठती है। हिसार हरियाणा के इंटरनैशनल बॉक्सर दीपक की जिंदगी में वह वक्त भी आया था, जब वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे और न्यूज पेपर बांटने को मजबूर थे। लेकिन, उन्होंने हार नहीं मानी और परिणाम सबके सामने है। इस 21 वर्षीय बॉक्सर ने हाल ही में मकरान कप का गोल्ड मेडल अपने नाम किया। यह टूर्नमेंट ईरान के चाबहार में हुआ था। तीन बार के राष्ट्रीय विजेता हरियाणा के दीपक ने 46-49 किलोग्राम भारवर्ग में स्वर्ण अपने नाम किया। उन्होंने फाइनल में जाफर नासेरी को मात दी थी। यह इस टूर्नमेंट में भारत का एक मात्र गोल्ड मेडल रहा। भारत ने यहां कुल 8 पदक हासिल किए हैं, जिसमें एक गोल्ड, पांच सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल शामिल थे। अपने संघर्ष के बारे में दीपक बताते हैं कि एक वह वक्त भी था, जब उन्हें अच्छी डायट (अंडे, दूध) के लिए भी संघर्ष करना पड़ता था और वह लगभग हार मान चुके थे। उनके दिन तब बदलने लगे जब उन्हें यूनिवर्सल बॉक्सिंग अकादमी, हिसार में राजेश शेवरन का मार्गदर्शन मिला। वह बताते हैं- 2009 में आर्थिक विषमताओं की वजह से मैंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग छोड़ दी। तब मेरे कोच ने मेरा सपॉर्ट किया। लगभग 6 महीने बाद वह मुझे बॉक्सिंग में वापस लाए। उन्होंने मेरी डायट और ट्रेनिंग फीस का जिम्मा खुद उठाया। उन्होंने बताया, ‘मैंने 2018 में इंटर सर्विस टूर्नमेंट के अलावा सीनियर नैशनल का गोल्ड (49KG) जीता। बेस्ट बॉक्सर का अवॉर्ड भी मिला। इस प्रदर्शन के आधार पर मुझे मकरान कप-2019 के लिए पहली बार इंटरनैशनल टीम में चुना गया। मेरी मेहनत रंग ला रही थी। मैं इस टूर्नमेंट के काफी उत्साहित था और गोल्ड मेडल जीता।’ अब दीपक को अप्रैल में बैंकॉक में आयोजित होने वाले एशियन चैंपियनशिप में खेलना है।