विकलांगता को पीछे छोड़ पूनम ने पाया मुकाम
कहते है हौसलो की उड़ान हो तो कठिन से कठिन बाधाएं दूर हो जाती है ऐसा ही कमजोर आँसुओ को बहाना के बजाय हौसला रखकर देश और दुनिया में नाम कमाने वाली पूनम कवि का निशानेबाजी में एक जाना पहचाना नाम है | पोलियो के कारण उनका दाहिना पैर बचपन में ही शिकार हो गया था लेकिन पूनम ने इस कमजोरी को उभरने नही दिया पूनम ने शादी के बाद गुमनामी जिंदगी जीने के बजाय निशाने बाजी में कुछ कर दिखाने का सुनहरा सपना देखा जिसके कारण अपने पति अनिल कवि के सहयोग से आज राष्ट्रिय स्तर की निशानेबाज बनी| महत्वपूर्ण है की पूनम अपने गाँव की प्रधान भी है और गाँव के विकास के लिए मेहनत भी कर रही है |पूनम ने 2009 में केरल में आयोजित ऑल इंडिया निशानेबाजी प्रतियोगिता में विकलांग श्रेणी में पहला गोल्ड मेडल जीता और उसके बाद अब तक चार स्वर्ण , चार रजत सहित राष्ट्रिय स्तर के 11 पदक जीत चुकी है |