शिक्षक दिवस पर विशेष: गुरु-शिष्य की अद्वितीय जोड़ी….
उत्तराखंड | शिक्षक और शिष्य का संबंध भारतीय संस्कृति में सदियों से अद्वितीय स्थान रखता आया है। गुरु और शिष्य के इस संबंध को केवल एक शैक्षणिक प्रक्रिया तक सीमित नहीं रखा जा सकता; यह एक ऐसा पवित्र बंधन है जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाता है और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अग्रसर करता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायी कहानी है कर्णप्रयाग पीजी कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. के. एल. तलवाड़ और उनके परम शिष्य अंकित तिवारी की, जिनका नाता शिक्षा और सृजन के नए अध्याय लिख रहा है।डॉ. तलवाड़, जो शिक्षा के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए विख्यात हैं, ने अपने कार्यकाल के दौरान न केवल विद्यार्थियों को शिक्षित किया, बल्कि उन्हें जीवन की वास्तविकताओं से रूबरू कराते हुए सृजनात्मकता की ओर भी प्रेरित किया। उनका मानना था कि शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी देना नहीं है, बल्कि छात्रों के भीतर छिपी हुई संभावनाओं को निखारना है। यही कारण है कि उन्होंने डोईवाला महाविद्यालय में समाचार लेखन कला का निःशुल्क प्रशिक्षण शुरू किया।
प्रोफेसर तलवाड़ के मार्गदर्शन में जब यह प्रशिक्षण आरंभ हुआ, तो अंकित तिवारी का नाम सर्वश्रेष्ठ छात्र प्रतिभागी के रूप में सामने आया। लेखन के प्रति अंकित की गहरी रूचि और समर्पण ने उन्हें न्यूज़ लैटर ‘दर्पण’ के छात्र संपादक के रूप में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी। यह नियुक्ति केवल एक पद नहीं थी, बल्कि एक नई यात्रा की शुरुआत थी जो अंकित के जीवन को दिशा देने वाली थी।
गुरु-शिष्य का यह बंधन……
समय के साथ, गुरु-शिष्य का यह बंधन और मजबूत होता चला गया। जब डॉ. तलवाड़ चकराता कॉलेज के प्राचार्य बने, तो उन्होंने इस रिश्ते को और भी मजबूती से निभाया। कोरोना महामारी के दौरान, जब शिक्षा की प्रणाली बाधित हुई, तब डॉ. तलवाड़ ने हस्तलिखित नोट्स तैयार किए और अंकित ने उन नोट्स को छात्रों तक पहुँचाने का बीड़ा उठाया। यह कार्य उनकी शिक्षा के प्रति निष्ठा और छात्रों के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाता है।डॉ. तलवाड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने अपने शिष्य अंकित के साथ मिलकर ‘साईं सृजन पटल’ की स्थापना की। इस पटल का उद्देश्य युवाओं को लेखन, रिपोर्टिंग, प्रेस फोटोग्राफी, फीचर लेखन और अभिलेखों के रखरखाव जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षित करना है। यह एक ऐसा मंच है जो युवाओं को उनकी सृजनात्मकता को उभारने का अवसर प्रदान करता है, और उनके लेखन कौशल को निखारने के लिए व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराता है।अंकित तिवारी को इस पटल में सक्रिय सदस्य और ई-न्यूज़ लैटर के उप-संपादक के रूप में नियुक्त किया गया। यह नियुक्ति अंकित के लेखन और सृजनात्मकता के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है, और यह भी प्रमाणित करती है कि एक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन शिष्य को केवल शिक्षा ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है। शिक्षक दिवस पर, डॉ. तलवाड़ और अंकित तिवारी की यह कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षक और शिष्य के बीच का बंधन किसी भी समाज की प्रगति और सृजन के लिए कितना महत्वपूर्ण होता है। यह केवल शिक्षा का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि एक युग का निर्माण है, जिसमें शिक्षक एक युग निर्माता की भूमिका निभाते हैं और शिष्य राष्ट्र के भाग्य विधाता बनते हैं। इस गुरु-शिष्य की जोड़ी ने यह साबित कर दिया है कि शिक्षा केवल एक प्रक्रिया नहीं है, बल्कि एक सृजनात्मक यात्रा है, जो जीवन को नया दृष्टिकोण और नए आयाम प्रदान करती है। ‘साईं सृजन पटल’ इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और प्रेरणा से किसी भी युवा का भविष्य उज्ज्वल हो सकता है और वह समाज के लिए एक प्रेरणास्त्रोत बन सकता है। शिक्षक दिवस की इस विशेष अवसर पर, हम डॉ. के. एल. तलवाड़ और अंकित तिवारी की इस प्रेरणादायी कहानी को नमन करते हैं और यह कामना करते हैं कि उनका यह सृजनात्मक सफर आने वाले समय में और भी ऊंचाइयों को छुए।