तब की स्वतंत्रता दिवस और अब की स्वतंत्रता दिवस
देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के लोग उस पल को गर्व से संजोने के लिए हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाते है | बीस साल पहले स्वतंत्रता दिवस के मायने और वर्तमान समय में स्वतंत्रता दिवस के मायने में अन्तर साफ दिखाई पड रहा है | पहले समय में स्कूलो-कालेजो के साथ साथ सरकारी दफ्तरों में स्वतंत्रता दिवस के दिन से एक माह पहले ही आजादी मनाने के लिए तैयारिया जोरो शोरो से शुरू हो जाया करती थी |जहां स्कूलों में छात्र – छात्राए प्रातः काल में ही ड्रेस की तैयारी कर के स्कूलों द्वारा निकलने…
जनता ,चुनाव ,सांसद और संसद का स्थगित होना
देश में चुनाव होने पर करोड़ो रूपये खर्च हो जाते है देश की जनता से वोट माँगने पर अप्रत्यक्ष रूप से उम्मीदवार लाखो रूपये खर्च करते है देश की जनता अपने सांसदो को चुन कर संसद में भेजती है जिससे उनके लिए जन सुविधाओ के साथ साथ अनेको योजनाओ और नए कानूनों का क्रियवान्त कर देश को विकसित देश की श्रेणी में ला सके | लेकिन हर पाँच साल नई उम्मीद अँधेरे में खोई नज़र आती है जिस तरह से संसद का काम काज प्रत्येक सत्र में प्रभावित होता है उससे जनता की उम्मीदे जवाब दे रही है | जनता…
खेल और खिलाड़ी बनाम सरकार और राजनेता
(अरुण कुमार यादव – सम्पादक ) किसी भी देश की पहचान उसके खेल से होता है और साथ ही साथ उस देश के खिलाड़ियों से होता है | जिस तरह से हमारे देश में क्रिकेट खेल अन्य खेलो पर हावी है यह कही न कही अन्य खेलो और उस खिलाड़ियों के लिए सही दिशा नही है | क्रिकेट में जहाँ रूपयों की बरसात होती है वही अन्य खेलो की तो दूर की बात उनके खिलाड़ियों के लिए प्रायोजक तक नही मिलते है | सहायता पर रही सही कसर देश के राजनेता पूरी कर देते है | कुछ खिलाड़ी ऐसे भी…
देश में ठेकेदारी प्रथा हो समाप्त
अरुण कुमार यादव (संपादक) देश के विकास में सरकारी योजनाऐ उतना ही महत्व रखती है जितना गैर सरकारी योजनाए | लेकिन इन सरकारी योजनाओ पर ठेकेदारी प्रथा हावी होती हुई नज़र आ रही है ठेकेदारी प्रथा जितना हावी होगी भ्रष्टाचार उतना ही अपना मुँह बाये खड़ी रहेगी | देश की बड़ी बड़ी सरकारी योजनाओ को अमली जामा पहनाने में कितनी कमीशन बना हुआ रहता है यह किसी से छुपा नही रहता लेकिन छुपाना क्या अब तो खुलेआम मण्डी भाव की तरह बोली लगाई जाती है इस पद्धति पर देश के कुछ राजनेता इस पर सहमति जताते है तो कुछ अच्छे…
इसे कानून का लचीलापन कहे या भ्रष्ट सिस्टम की समझदारी
अरुण कुमार यादव (संपादक ) देश में लोगो पर कानून हावी है या नेता या भ्रष्ट सिस्टम इनका आकलन लगाना और आसान हो जाएगा यदि आसाराम का केस देखे या पत्रकारो को ज़िंदा जलाने का केस या व्यापम घोटाले का केस ये तीनो कानून के डर को दर्शाता है या नही आप खुद समझदार है | हालिया समय में कानून की बे-खौफ़ तस्वीर आप के सामने है इन्ही कड़ी में सबसे पहले आसाराम केस की बात करे तो इस केस में एक के बाद एक गवाहों की मौत | इसी तरह व्यापम के केस में एक के बाद एक मौत…
आर्थिक रूप में प्रतिभाए हो रही कमजोर
अरुण कुमार यादव (संपादक ) पहले के दशक में बच्चों पर पढ़ाई को लेकर जोर अधिक दिया जाता था उस दशक में पढ़ाई के अतरिक्त खेल ,गीत संगीत या कुछ अलग करने का हुनर तो था लेकिन वह हुनर कही न कही दब जाता था | पिछले दशक में भी लोग पढ़ाई के अलावा और क्षेत्रो में आगे आये है लेकिन आज के दौर में बच्चों के माता पिता पढ़ाई के साथ साथ उनके अलग प्रतिभा को गम्भीरता से आगे बढ़ने के लिए साथ देते है | वर्तमान समय में अनेक टी वी चैनलों द्वारा रियल्टी शो के माध्यम से देश की…
सही मायने में हो फर्जी डिग्रियों की जाँच
अरुण कुमार यादव देश में फर्जी डिग्री का अनुमान लगाना असंभव तो हो सकता पर देश के लिए उचित तभी होगा जब शीर्ष से लेकर छोटे पदों पर रहने वाले नौकरशाही और देश के हर मंत्री सांसद से लेकर प्रधान तक की डिग्री की जाँच हो | जिस तरह से दिल्ली के कानून मंत्री तोमर की डिग्री फर्जी निकली और साथ ही साथ देश की शिक्षा मंत्री पर फर्जी डिग्री का आरोप लग रहे है उससे तो यही प्रतीत होता है की ऐसे न जाने कितने नेताओ के डिग्री फर्जी हो सकते है |पुरे देश में ऐसे लोगो के…
ऐसा घोटाला , शर्म से सिर झुक जाए
अरुण कुमार यादव (संपादक) केदारनाथ में आपदा को आए हुए दो साल होने वाले है लेकिन आज भी सब कुछ ठीक ठाक नही चल रहा है | जिस तरह से केदारनाथ आपदा घोटाले का जीन बाहर आया है उससे तो यही प्रतीत होता है की इंसानियत की लौ अधिकारियो के दिल से बुझ चुकी है|घोटाले बहुत से हुए पर इंसानियत को झकझोर देने वाला केदारनाथ आपदा घोटाला देवभूमि के के लिए शर्म की बात है |जिस समय पूरे देश में लोगो की सहानभूति और मदद अपरम्पार थी उसी समय राज्य के अधिकारियो द्वारा घोटाले सेट करने में लगे हुए थे…
ईमानदार अधिकारियो का तबादले पर तबादला ,तबादले पर तबादला
अरुण कुमार यादव (संपादक) देश में जहाँ ईमानदार अधिकारियो द्वारा देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही है वही इन अधिकारियो के कोर कसर को खत्म करने में राजनेता , हर क्षेत्र के माफिया कोई कसर नही छोड़ रहे है | कुछ राज्यो के अलावा बाकी सभी राज्यो में ईमानदार अधिकारियो की दशा और दिशा माफिया और राजनेताओ पर टिकीं हुई रहती है|चाहे उत्तर प्रदेश हो या हरियाणा या महाराष्ट् यह राज्य इन सूचियो में टॉप में आते है | इन्ही क्रम में ताजी घटना उत्तराखण्ड की भी है | देहरादून के विकासनगर में तैनात…
कुमार पर विश्वास पर मीडिया पर अविश्वास
मशहूर कवि कुमार विश्वास पर जिस तरह से मीडिया के द्वारा प्रश्नो की बौछार पड़ रही है शायद ऐसे ही प्रश्नो की बौछार देश की तरक्क़ी के लिए होती तो कुछ तो सुकून होता | जितनी गंभीरता से मीडिया ऐसे समाचार को ब्रेकिंग बनाती है शायद कुछ ऐसे समाचारो को ब्रेकिंग बनाते जो बेईमानो की किला ध्वस्त करने में सहायक होती जो अमीर और गरीब के साथ साथ अमीरी और गरीबी के फासलों में अंतर ला सके जो कतार में सबसे अंतिम में खड़ा इंसान अपनी हक़ के लिए बाहे फैलाये हुए है उसको उसका हक दिल सके| मीडिया देश में…