देहरादून : लोगों को फिर सताने लगा कोरोना का खौफ
देहरादून। लंबे समय से प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं उन्होंने एक दूसरे से इतनी दूरी बना रखी है कि महीनों तक मुलाकात और बात नहीं होती। एक दूसरे के कार्यक्रमों में वह शिरकत भी नहीं करते। वही कुछ नेताओं के भाजपा के संपर्क में होने या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चाएं भी आमतौर पर होती रही हैं। कांग्रेस की इस अंर्तकलह को समाप्त करने के लिए अब वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पीएल पूनिया को हाईकमान द्वारा पर्यवेक्षक बनाकर देहरादून भेजा जा रहा है वह 15 अप्रैल को दून आ रहे हैं और इस अंर्तकलह के कारणों को समझने तथा अंतर्कलह के शिकार नेताओं को समझाने का प्रयास करेंगे।
यह सर्वविदित है कि प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी किस कदर हावी है। पूर्व सीएम हरीश रावत से लेकर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह तक सभी के अपने-अपने गुट हैं और अपने-अपने समर्थकों के साथ सभी गुट सालों से अपनी अलग-अलग खिचड़ी पका रहे हैं जिसके कारण पार्टी में न सिर्फ भगदड़ की स्थिति पैदा हो रही है अपितु कांग्रेस को एक के बाद एक चुनाव में हार का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन कांग्रेसी नेता अपने अपने वर्चस्व की जंग में मगरूर है। सर पर निकाय चुनाव के साथ-साथ लोकसभा चुनाव भी खड़े हैं लेकिन कांग्रेसी नेता चुनावी तैयारियों की बजाए एक दूसरे को हाशिए से बाहर धकेलने में लगे हुए हैं। अभी बीते दिनों कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री तिलकराज बेहड़ ने नेतृत्व की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए गढ़वाल की उपेक्षा का आरोप लगाया गया था। वहीं प्रीतम सिंह ने भी प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव की राजनीतिक योग्यता पर सवाल उठाते हुए यहां तक कह दिया था कि उन्हें राजनीति का क ख ग भी नहीं आता है और वह हमारे प्रभारी हैं। उन्होंने किसी अनुभवी नेता को प्रभारी बनाने की मांग की थी। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का कहना है कि पार्टी के बड़े नेताओं की इस तरह की बयानबाजी से पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटता है। जिसके बारे में उन्होंने केंद्रीय नेताओं से वार्ता की थी जिस पर संज्ञान लेते हुए पीएल पूनिया को यहां भेजा जा रहा है वह सभी से मिलेंगे और बात करेंगे। देखना होगा कि पीएल पूनिया इन कांग्रेसी नेताओं को कितना समझा पाते हैं।