राजनेताओ के बच्चे भी पढेगे अब सरकारी स्कूलों में ?
नई दिल्ली में एक मीडिया गु्रप द्वारा आयोजित कार्यक्रम में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि भारत राज्यों से मिलकर ही बनेगा। हर राज्य की अपनी समस्या है, इसलिए सबकी भावनाओं का ध्यान रखना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि संघीय लोकतंत्र में केन्द्र एवं राज्य को मिलकर कार्य करना है। भारत राज्यों से मिलकर बना है। इसे अम्बेडकर जी से लेकर गांधी जी ने संवारने का कार्य किया हैं। योजना आयोग एक ऐसी पद्धती थी, जिसमें राज्यों की योजनाओं के स्वरूप में अन्तर होता, तो वहां चर्चाएं होती थी, जिसकी योजना आयोग स्वीकृति देता था, और उसी नक्शे कदम पर चलते थे। आज अगर देश इतनी ऊंची उडान उडने के काबिल बना हैं, तो इसमें योजना आयोग का बहुत बडा हाथ है। अचानक एक परिवर्तन आया कि योजना आयोग की जगह नीति आयोग आ गया और मैं बहुत आभार व्यक्त करता हूं कि प्रधानमंत्री जी ने हमें टीम इंडिया कहा, जहा प्रधानमंत्री कप्तान और राज्यों के मुख्यमंत्री टीम के सदस्य हैं। मगर जो कप्तान थे, उन्होंने टीम मेंम्बर को बताया तक नहीं कि उनकी टीम मेंम्बर को किस स्थान पर खेलना हैं, उसकी पोजिशन क्या रहेगी। हमको बुलाया और हमंे एक निर्णित चीज मिली। केन्द्र सरकार ने कहा कि राज्यों को टैक्स शेयर से मिलने वाली धनराशि में राज्यों का हिस्सा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है, लेकिन केन्द्रीय सहायतित योजनाओं को पूरी तरह से बंद कर दिया।
इसी कार्यक्रम में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सरकारी स्कूल में जनता के प्रतिनिधियों के बच्चो को भी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए, जिससे उन विद्यालयों की शिक्षा स्तर भी प्राइवेट स्कूलों के जैसा हो जाएगा | उन्होंने आगे कहा की जिस दिन मुझे ऐसा लगेगा की मैं भी दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अपने बच्चो को पढ़ा सकता हूँ, उस दिन मेरा शिक्षा मंत्री होना सार्थक होगा |
इस परिचर्चा कार्यक्रम में हरियाण, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री तथा दिल्ली के उप मुख्यमंत्री शामिल थे।