पंचर बनाने वाले का बेटा बना “जज”, जानिए खबर
प्रयागराज | नवाबगंज के मुश्किल हालात में पले-बढ़े अहद अहमद ने पहले ही प्रयास में ही पीसीएस-जे परीक्षा पास कर ली। अहद ने बिना किसी कोचिंग के ये सफलता हासिल की है। आज जो कहानी हम आपको सुनाने जा रहे हैं उसे पढ़ने के बाद आप नासिर किया सोचने पर विवश हो जाएंगे बल्कि आप रो पड़ेंगे | आज की कहानी का जो हीरो है वह जज साहब बना है | उसका जन्म गरीब परिवार में हुआ था और उसके पिता साइकिल पंचर बनाने का काम करते हैं | मां घर घर से कपड़ा लाती है और सिलाई कढ़ाई का काम करती है | मां-बाप दोनों ने मिलकर किसी तरह बेटे को पढ़ाने का सपना देखा | बेटा भी जी जान लगाकर पढ़ता रहा और आखिरकार वह दिन आया जिस दिन दोनों मां बाप का सपना साकार हुआ | शहजाद अहमद और तीन बच्चे प्रयागराज जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूरी पर बरई हरख गांव में रहता है. घर के बगल में ही शहजाद के पिता ने 1985 में साईकिल रिपेयरिंग की दुकान शुरू की थी | शहजाद आज इसी दुकान से अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं | पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था और वह 10वीं में फेल हो गए | जिसके बाद उन्होंने पिता से साईकिल रिपेयरिंग का काम सीखा और दुकान पर बैठने लगे | कुछ वक्त के बाद बगल में ही छोटे भाई को जनरल स्टोर की दुकान खुलवा दी | अब दोनों भाई दिनभर अपनी दुकान पर काम करने लगे | पति की साईकिल रिपेयरिंग की दुकान से परिवार का खर्च ही मुश्किल से चलता था | ऐसे में तीन बच्चों की पढ़ाई का खर्च निकालना मुश्किल था | फिर शहजाद की पत्नी अफसाना ने पैसे इकट्ठा करके किसी तरह सिलाई मशीन खरीदी और गांव की ही महिलाओं के कपड़े सिल बच्चों की पढ़ाई का जिम्मा उठाया | अहद ने घर पर रहकर पीसीएस-जे की तैयारी शुरू कर दी | पैसे की तंगी के कारण उन्होंने कोचिंग भी नहीं ली | उन्होंने बताया कि, “उनकी प्री परीक्षा बहुत अच्छी गई. जिसके बाद उन्होंने मेंस की परीक्षा तैयारी शुरू कर दी | अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने मेंस परीक्षा भी निकाल ली | अब उन्हें इंटरव्यू राउंड पार करना था | जब वह इंटरव्यू देकर बाहर निकले तो संतुष्ट नहीं थे क्योंकि वह कुछ सवालों में असहज हो गए थे. उन्हें लगा कि यहां अपना बेहतर नहीं दे पाए | जब यूपी लोक सेवा आयोग ने रिजल्ट जारी किया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा | पहले अहद ने रिजल्ट नहीं देखा क्योंकि उन्होंने तय किया था कि जब पास हो जाएंगे तो कोई न कोई दोस्त फोन जरूर करेगा | हुआ भी कुछ ऐसा ही | एक दोस्त ने फोन किया और बताया कि वह 157वीं रैंक के साथ पास हो गए हैं | पहले उन्हें इस बात पर यकीन नहीं हुआ लेकिन जब वो अपने परिणाम को लेकर सुनिश्चित होगए तब उन्होंने सबसे पहले अपनी मां के पास पहुंच कर उन्हें कहा कि, ‘मां मैं जज बन गया’ मां ने अहद को गले से लगा लिया | आंखों से आंसू बह निकले. उन्हें उनकी वर्षों की तपस्या का सुखद फल मिल गया था|