राष्ट्रपति ने मेडिकल के 598 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की
ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के चतुर्थ दीक्षांत समारोह की मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सभी टॉपर 14 छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। समारोह में मेडिकल के 598 विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान की गई। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि मरीजों तथा उनके परिवारजन का स्नेह और आशीर्वाद ही चिकित्सक की सबसे बड़ी कमाई है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में उत्तराखंड की धरती को देवभूमि तथा आरोग्य भूमि के रूप में पहचान प्राप्त है। इसलिए उत्तराखंड में स्थापित एम्स ऋषिकेश एलोपैथी के साथ आयुर्वेद पद्धति से मरीजों का उपचार कर व्यापक स्तर पर उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रहा है। राष्ट्रपति ने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व-स्तर की शिक्षा और सेवा प्रदान करना एम्स ऋषिकेश सहित, सभी एम्स संस्थानों की एक बहुत बड़ी राष्ट्रीय उपलब्धि है। शिक्षण संस्थान के रूप में एम्स संस्थानों ने सर्वश्रेष्ठ मापदंड स्थापित किए हैं। सूबे के राज्यपाल ले. जनरल (सेवानिवृत्त) गुरमीत सिंह और भारत सरकार के नीति आयोग के सदस्य डा. विनोद के. पाल कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि रहे।
उन्होंने कहा कि अनेक विद्यार्थियों का यह सपना होता है कि वह डॉक्टर बनें। उनमें से आप जैसे कुछ विद्यार्थी ही यह सपना पूरा कर पाते हैं। अपनी कड़ी मेहनत और परिश्रम के बल पर आप ने यह सफलता अर्जित की है। उपाधि प्राप्त करने वालों में छात्रों की संख्या अधिक होने पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रसन्नता व्यक्त की। कहा कि यहां के विद्यार्थियों में छात्राओं की कुल संख्या 60 प्रतिशत से अधिक है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि हमारे देशवासियों के लिए एम्स का मतलब होता है सबसे अच्छे डॉक्टरों द्वारा इलाज होना। सबसे अच्छा इलाज और कम से कम खर्च में इलाज होना भी एम्स की पहचान है। ऋषिकेश एम्स की प्रगति पर संतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि लगभग एक दशक की अपनी विकास यात्रा में एम्स ऋषिकेश ने अपनी अच्छी पहचान बना ली है। एम्स ऋषिकेश ने सर्वे सन्तु निरामयाः यानी सभी लोग रोगमुक्त हों, की पारंपरिक प्रार्थना में निहित आदर्श को वैश्विक स्वास्थ्य सेवा के लक्ष्य के रूप में अपनाया है।