विद्युत प्रकरण पर पनाश वैली निवासियों की जीत, जानिए खबर
देहरादून(अंकित तिवारी) | उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए पनाश वैली के निवासियों को व्यक्तिगत विद्युत कनेक्शन प्राप्त करने का अधिकार दिया है। यह आदेश पनाश रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन और निवासियों के बीच लंबे समय से चले आ रहे विवाद का समाधान करता है। आयोग ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनके तहत अब निवासियों को अपनी बिजली आपूर्ति और मेंटेनेंस शुल्क के बीच स्पष्ट विभाजन मिलेगा।गौरतलब है कि पनाश रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड के आदेश पर निवासियों को व्यक्तिगत विद्युत कनेक्शन देने का विरोध किया था। पनाश रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन का कहना था कि यह उनकी बल्क कनेक्शन व्यवस्था और मेंटेनेंस शुल्क संग्रहण प्रणाली को बाधित करेगा। अध्यक्ष चंद्रेश कुमार यादव के नेतृत्व में, पनाश रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने चिंता जताई कि इससे सोसाइटी प्रबंधन और बुनियादी ढांचे पर अतिरिक्त भार पड़ेगा।
इसके विपरीत, निवासियों की ओर से मीनाक्षी भट्ट ने व्यक्तिगत विद्युत कनेक्शन की मांग का समर्थन किया, यह आरोप लगाते हुए कि पनाश रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन प्रीपेड मीटर के माध्यम से अनुचित रूप से मेंटेनेंस शुल्क वसूल रही है और निवासियों के अधिकारों का उल्लंघन कर रही है। निवासियों के पक्ष में एडवोकेट उपलब्धि मोहन गुप्ता और एडवोकेट कुशल आदित्य गुलकरी ने मामले की पैरवी की।एडवोकेट उपलब्धि मोहन गुप्ता ने बताया कि आयोग ने पनाश वैली के निवासियों को मतदान प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्तिगत कनेक्शन लेने की स्वतंत्रता प्रदान की है। यह “बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियम, 2024” के अंतर्गत लागू किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि पनाश रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन को बिजली शुल्क और मेंटेनेंस शुल्क को अलग रखने का आदेश दिया गया है, और मेंटेनेंस शुल्क के कारण किसी भी निवासी की बिजली आपूर्ति बाधित नहीं की जाएगी। यूपीसीएल को मतदान प्रक्रिया का आयोजन करने और जरूरत पड़ने पर व्यक्तिगत कनेक्शन प्रदान करने के लिए निर्देशित किया गया है। साथ ही, प्रदेश भर में ऐसे मामलों का अध्ययन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।एडवोकेट कुशल आदित्य गुलकरी ने बताया कि यह आदेश न केवल पनाश वैली के निवासियों के लिए बल्कि पूरे उत्तराखंड राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल है। इससे सोसाइटी प्रबंधन और बिजली आपूर्ति के बीच पारदर्शिता आएगी और निवासियों को उनकी सुविधाओं का स्वतंत्र रूप से चयन करने का अधिकार मिलेगा।इस निर्णय ने राज्य में उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ सोसाइटी प्रबंधन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक नई दिशा प्रदान की है, जो भविष्य में ऐसे अन्य मामलों के समाधान में सहायक सिद्ध हो सकता है।