उत्तराखंड सरकार पुलिस जवानों की माँग को उचित ठहराया पर ..
प्रदेश में पुलिस जवानों द्वारा वेतन विसंगति दूर करने और एरियर भुगतान करने की जो मांग उठी है। वह देखी जाय तो कुछ हद तक ठीक लगती है, लेकिन यह भी सोचना जरूरी हो जाता है कि यह मांग आज क्यो उठ रही है। पुलिस विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार पुलिस जवानों के वेतन विसंगति समिति की संस्तुति के आधार पर पुलिस विभाग के विभिन्न श्रेणी के पदो के वेतनमान में संशोधन/उच्चीकरण करने का शासनादेश 14 मार्च 2012 को कर दिया गया था। जिसमें स्पष्ट उल्लेख किया गया था कि पुलिस विभाग के विभिन्न श्रेणी के पदों के वेतनमान में संशोधन/उच्चीकरण संबंधी देयक 12.12.2011 से देय होंगे। इसी प्रकार से दिनांक 14.5.2012 को पुलिस महानिरीक्षक द्वारा शासन को पत्र भेज कर अनुरोध किया गया कि पुलिस विभाग के विभिन्न श्रेणी के पदो के वेतनमान में संशोधन/उच्चीकरण को दिनांक 1.1.2006 से अनुमन्य किया जाय। शासन स्तर पर इस संबंध में पूरा विचार करने के बाद अवगत कराया गया कि इस संबंध में 14.3.2012 द्वारा शासनादेश जारी कर निर्णय लिया गया है, कि 12.12.2011 की तिथि से अनुमन्य होगी। अब सवाल यह उठता है, कि जब पुलिस विभाग को शासन स्तर से स्पष्ट निर्देश मिल गये थे कि पुलिस विभाग के विभिन्न श्रेणी के पदों के वेतनमान में संशोधन/उच्चीकरण संबंधी देयक का लाभ 12.12.2011 से देय होंगे, तो तब किसी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया क्यो नही की। पुलिस विभाग के सभी अधिकारियों और जवानों को इस संबंध में पूरी जानकारी थी। यह भी समझ नही आता है कि पुलिस विभाग कोई मामूली विभाग नही है, यह एक अनुशासित फोर्स है, जिसके ऊपर पूरे प्रदेश की आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा है। राजनीतिक पार्टियों के नेताओं द्वारा भी जिस प्रकार से इस अघोषित आन्दोलन को सहयोग देने के बयान आ रहे है, उससे यह समस्या और भी विकट हो जाती है। सत्ता में जो पार्टी है, यदि उसकी जगह कोई और पार्टी होती तो क्या तब भी वह इस प्रकार के गैर जिम्मेदाराना बयान देती। वहीं यह बात भी समझ नही आ रही है कि जब वेतन विसंगति का मामला केवल पुलिस विभाग का ही नही है। बल्कि अन्य कई ऐसे विभाग और भी है जिनके इससे भी अधिक मामले लंबित है। शायद पुलिस विभाग के अधिकारी अपने जवानों को इस बात को सही प्रकार से समझाने में असफल रहे है, जिस कारण ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे है। लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों को यह पता है कि जल्द ही सातवां वेतन आयोग आने वाला है, जिसके बाद वेतन विसंगति जैसी समस्याएं समाप्त हो जायेगी। ऐसे में सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का सभी को इंतजार करना चाहिए।