उत्तराखण्ड को महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, आदि राज्यों के समकक्ष नहीं रखा जा सकता : रावत
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने केन्द्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को एक गंभीर एवं वरिष्ठ मंत्री व सम्मानित नेता बताते हुए कहा कि मैं उन्हे अत्यंत गंभीरता से लेता हूॅ भाजपा के प्रदेश नेताओं द्वारा उनके समक्ष राज्य के आर्थिक व अन्य पक्षों को न रखने के कारण ही मुझ पर उन्होने कुछ आक्षेप लगा दिया है। श्रीमती स्वराज द्वारा राज्य को ग्रीन बोनस व हिमालयन राज्यों के वाजिब हकों की बात करने पर आभार प्रकट किया है। मुख्यमंत्री ने श्रीमती स्वराज से आग्रह किया है कि वे उत्तराखंड के विशेष राज्य के दर्जे को बरकरार रखने की पैरवी केंद्र से करें। उत्तराखण्ड को महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, गोवा, हरियाणा आदि राज्यों के समकक्ष नहीं रखा जा सकता है। केन्द्रीय करों के रूप में उपरोक्त सम्पन्न राज्यों से अधिक कर राजस्व प्राप्त होता है जबकि उत्तराखण्ड एक नवोदित राज्य है व हिमालयन राज्यों में आय के संसाधन कम होने के वजह से लगभग 65 प्रतिशत भूभाग वनों से आच्छदित होने के कारण हमारे राज्यों में आय के स्त्रोत सीमित हैं। हमारा राज्य सम्पन्न राज्यों के मुकाबले में बिना केन्द्रीय उदार सहायता के आगे बढ़ने में उतना सक्षम नहीं हो सकता, उन्होने केन्द्रीय मंत्री से यह भी आग्रह किया कि भारत के संघीय व्यवस्था में और प्रधानमंत्री मोदी की टीम इंडि़या के पार्टनर के रूप में हमारे राज्य को पूर्व की भांति ही केन्द्र से विशेष राज्य के दर्जे के तहत मिलने वाले 90ः10 के अनुपात में आर्थिक सहायता प्राप्त होनी चाहिए।प्रदेश में किसानों की स्थिती किसी से छिपी से नहीं है। राज्य अतिवृष्टि से प्रभावित हुआ है। गन्ना मूल्य भुगतान के लिए केन्द्र से बार-बार धनराशि की मांग की गई लेकिन कोई सकारात्मक रेस्पोन्स नहीं मिला। हमारी सरकार जब केन्द्र में थी उस समय चीनी का दाम लगभग 3200 रूपए प्रति क्विंटल था और किसानों को तुरन्त राहत देने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 6600 करोड़ का विशेष पैकेज दिया गया जबकि प्रदेश सरकार द्वारा मांग करने के बावजुद किसानो एवं गन्ना उत्पादकों के लिए कोई राहत नहीं दी गई है हां बैठको का दौर लगातार जारी है नतीजा शून्य है।