एक रिपोर्ट : 2023 में चारधाम यात्रा क्षेत्र में 80 लाख पर्यटक
एसडीसी फाउंडेशन ने जारी की एक रिपोर्ट
देहरादून । एसडीसी फाउंडेशन ने राज्य के चारधाम और इससे लगते क्षेत्रों में आने वाले पर्यटकों के रुझान को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है। ‘एनालाइजिंग द टूरिस्ट पैटर्न इन चारधाम रीजन ऑफ उत्तराखण्ड’ शीर्षक से यह रिपोर्ट भारतीय सांख्यिकी संस्थान बेंगलुरु की छात्रा अभिति मिश्रा ने एसडीसी के सह संस्थापक आशुतोष कंडवाल के मार्गदर्शन में तैयार की है। रिपोर्ट मुख्य रूप से उत्तराखंड के चार धामों केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के साथ ही श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ और उत्तरकाशी शहरों में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या का आधार बनाकर तैयार की गई है। विश्लेषण प्रणाली का इस्तेमाल करते हुए रिपोर्ट में 2019 से 2023 तक के पांच वर्षों की अवधि में इस क्षेत्र में पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या का अनुमान लगाया गया है। रिपोर्ट में 2013 की प्राकृतिक आपदा के बाद पर्यटकों की संख्या में आई गिरावट और बाद में उसकी रिकवरी संबंधी तथ्यों का भी अध्ययन किया गया है। रिपोर्ट कहती है कि 2021 में राज्य में आने वाले कुल पर्यटकों में से 16.36 प्रतिशत श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ और उत्तरकाशी पहुंचेंगे। 2020 में चारधाम यात्रा क्षेत्र में 55 लाख पर्यटक पहुंचेंगे, जबकि 2023 में 80 लाख पर्यटकों के इस क्षेत्र में पहुंचने की संभावना है। पिछले 19 वर्षों में चारधाम यात्रा क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों की संख्या पर गौर करें तो 2012 में सर्वाधिक 55.3 लाख पर्यटक यहां पहुंचे। 2013 की आपदा के बाद पर्यटकों की संख्या में 93 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। 2014 में मात्र 8.4 लाख पर्यटक ही चारधाम पहुंचे। यह पिछले 19 वर्षों की सबसे कम संख्या थी। इसके बाद में सालों में धीरे-धीरे पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हुई और 2016 से 2018 के बीच पर्यटकों की संख्या में 18 प्रतिशत की अभूतपूर्व वृद्धि हुई। हालांकि इस क्षेत्र में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत कम है। यह संख्या कभी भी 1 प्रतिशत से अधिक नहीं बढ़ पाई। आशुतोष कंडवाल का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है कि पर्यटकों की संख्या बढ़ जाने से इस क्षेत्र में व्यवस्थाएं चरमरा जाती हैं और अन्य व्यवस्थाओं के साथ ही कचरा प्रबंधन की समस्या भी खड़ी हो जाती है। वे कहते हैं कि यह रिपोर्ट चारधान यात्रा से पर्यटन से जुड़ी सरकारी एजेंसियों, नीति निर्माताओं और जिला अधिकारियों को यात्रियों की संख्या को समायोजित करने और कचरा प्रबंधन की बेहतर व्यवस्था करने में सहायक सिद्ध होगी। वे कहते हैं कि यात्रा सीजन में कचरे का अवैज्ञानिक और अनियोजित निपटान चिन्ता का विषय है और हाल के वर्षों में इस तरह के सवाल खड़े हुए हैं। एसडीसी फाउंडेशन रिपोर्ट को संबंधित अधिकारियों के साथ साझा करेगी।