Breaking News:

डा चतुर्वेदी द्वारा स्वामी राम तीर्थ परिसर स्थित लाइब्रेरी में पुस्तक भेट किया -

Friday, November 15, 2024

ऋषिकेश में बाइक हादसे में यूट्यूबर की मौत, दूसरा युवक गंभीर रूप से घायल -

Wednesday, November 13, 2024

बेरोजगार आंदोलन को फंडिंग करने वालों व पत्थरबाजों को बेनकाब करो सरकारः मोर्चा -

Wednesday, November 13, 2024

40 हजार को बता दिया 400 करोड़ का घोटालाः अनिल कुमार यादव -

Tuesday, November 12, 2024

जरा हटके : नेशनल गेम्स के कैंप को लेकर संघ और विभाग आमने-सामने -

Tuesday, November 12, 2024

उत्तराखंड : बॉबी पंवार ने ऊर्जा विभाग में हुई नियुक्तियों पर उठाये गंभीर सवाल -

Tuesday, November 12, 2024

सचिवालय में वरिष्ठ IAS अधिकारी के साथ बॉबी पवार ने की गुंडागर्दी, जानिए खबर -

Thursday, November 7, 2024

दिव्यंगता : जागरूकता अभियान के तहत निशुल्क शिविर का आयोजन -

Thursday, November 7, 2024

मयंक महर और महक बिष्ट को सर्वश्रेष्ठ एथलीट का खिताब, जानिए खबर -

Thursday, November 7, 2024

16 नवंबर को दून कप स्टेट फुटबाल चैंपियनशिप का होगा शुभारम्भ -

Sunday, November 3, 2024

आम आदमी पार्टी देहरादून महानगर ने शुरू की नगर निगम चुनाव की तैयारी -

Saturday, November 2, 2024

पहचान : समाज के लिए प्रेरणास्रोत दिव्यांग लोगों को किया गया सम्मानित -

Saturday, October 26, 2024

सामाजिक संस्था के प्रतिनिधियों ने वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय सिंह से की जन संवाद -

Tuesday, October 22, 2024

पहचान : पवई की समाज सेविका अंजू सिंगरौल ने वितरण किए आदिवासी बच्चों को जूते चप्पल -

Tuesday, October 22, 2024

दवा इंडिया जेनेरिक फार्मेसी स्टोर का शुभारम्भ….. -

Tuesday, October 22, 2024

फैशन अड्डा : नवांकुर संस्था द्वारा लगाया गया स्टॉल रहा मुख्य आकर्षण का केंद्र -

Saturday, October 19, 2024

पंडित नारायण दत्त तिवारी के जयंती एवं पुण्यतिथि पर शत शत नमन और विनम्र श्रद्धांजलि सभा का हुआ आयोजन -

Friday, October 18, 2024

रामलीला मे बंदर बनकर फरार कैदी पांच दिन बाद भी कोई सुराग नही, जानिए खबर -

Thursday, October 17, 2024

जिस्मफरोशी के कारोबार का खुलासा, तीन महिलाओं सहित सात लोग गिरफ्तार -

Thursday, October 17, 2024

दून को हरा भरा साफ सुथरा रखने में जन सहयोग जरूरी, जानिए खबर -

Thursday, October 17, 2024



कक्षा सात की बालिका ने प्रधानमंत्री के लिए लिखी चिट्ठी, जानिए खबर

negi

रुद्रप्रयाग। कक्षा सात में पढ़ने वाली एक बालिका ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी भेजकर पहाड़ की ज्वलंत समस्याओं को उकेरने के साथ गैरसैंण राजधानी बनाने की विनती की है। चिट्ठी में बालिका ने शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य, प्राकृतिक आपदा, जंगली जानवरों के आतंक जैसी गम्भीर सवालों को उठाया है। नालंदा पब्लिक स्कूल, रुद्रप्रयाग में कक्षा सात में पढ़ रही 13 वर्षीय आकांक्षा नेगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी चिट्ठी में लिखा है कि नमस्ते। मैं पहाड़ के एक छोटे से नगर रुद्रप्रयाग में रहती हूं। पहले अपने गांव राजकीय प्राथमिक विद्यालय कनकचैरी (पोखठा) में पढ़ती थी, लेकिन वहां न तो छात्र थे और न ही अध्यापक। मेरी छोटी बहन कक्षा तीन में पढ़ती है जबकि भाई दूसरी कक्षा में है। गांव में पढ़ने की अच्छी सुविधा नहीं थी। स्कूल भी दूर था तो मेरे पिता मुझे, मेरी बहन व भाई को लेकर रुद्रप्रयाग आ गये। अब मैं एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ रही हूं। मैं बड़ी होकर जज बनना चाहती हूं।  चिट्टी में लिखा गया है कि आपने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा दिया है, लेकिन जब मैं अपनी सहेली तनुजा के बारे में सोचती हूं तो दुख होता है। वो पढ़ने में होशियार है, लेकिन जिस सरकारी स्कूल में पढ़ती है तो वह गांव से बहुत दूर है। हाई स्कूल तो और भी दूर है। गांव के कई बच्चों को नदी पार करनी होती है। जब केदारनाथ आपदा आई थी तो झूला पुल बह गये थे। वो पुल अब भी नहीं बने हैं। गांव के बच्चे नदी पार करते समय ट्राली को भी हाथों से खींचते हैं। ट्राली खींचते समय कई बच्चों की उंगलियां कट जाती हैं। प्रधानमंत्री जी, मैं आपको यह भी बताना चाहती हूं कि गांवों के अधिकांश स्कूलों में न तो अध्यापक हैं और न ही अन्य सुविधाएं। कई स्कूलों में तो शौचालय और पीने का पानी भी नहीं है, जिससे हम लड़कियों को ज्यादा समस्या होती है। मिडिल के बाद हाई स्कूल और इंटर कालेज बहुत दूर हैं। ऐसे में गांव की लड़कियों को पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ जाती है क्योंकि माता-पिता अपनी बेटियों को गांव से अधिक दूर पढ़ने के लिए नहीं भेजते हैं। ऐसे में बेटियां कैसे पढ़ेंगी। हमारे पहाड़ का जीवन बहुत कठिन होता है सर, यहां कई समस्याएं हैं, सड़क, स्वास्थ्य, जंगली जानवर का भय और उससे भी अधिक भूस्खलन, भूकंप और बाढ़ का भय। मेरी मां को आज भी घास-लकड़ी लेने जंगल जाना होता है और वहां हमेशा गुलदार या भालू का भय होता है। मोदी सर, आपने श्रीनगर गढ़वाल में पिछले साल भाषण में गढ़वाली में दो शब्द कहे तो मुझे बहुत अच्छा लगा था। मेरे पिता कहते हैं कि यदि राजधानी गैरसैंण होती तो गांव में ये समस्याएं नहीं होती। नेता और अधिकारी पहाड़ में हमारी तरह रहते तो हमारा दर्द समझ पाते। यदि राजधानी गैरसैंण होती तो लोग पहाड़ छोड़कर मैदानों की ओर नहीं जाते। मेरे पिता कहते हैं कि उन्हें और बड़े लोगों को देहरादून आने-जाने में भी परायेपन का अहसास होता है। यदि गैरसैंण स्थायी राजधानी होती तो पहाड़ के लोगों को अधिक सुविधा होती, अपनेपन का अहसास होता। मोदी जी, आपने कहा था कि पहाड़ की जवानी और पहाड़ का पानी पहाड़ों के काम ही आएगा। ऐसा कब होगा? अधिक कुछ नहीं कहती हूं। आपसे विनती है कि यदि आप सच्चे दिल से चाहते हैं कि बेटियां बचाओ-बेटियां पढ़ाओ, तो मेरा कहना है कि आप हमारे पहाड़ को बचा लो, यदि पहाड़ बचाना है और यहां की बेटियों को पढ़ाना है तो यहां हम लोगों को मूलभूत सुविधाएं चाहिए। आपसे विनती है प्लीज, गैरसैंण राजधानी बना दो। प्लीज, प्लीज।

ॐ ॐ

Leave A Comment