कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ‘खून का रिश्ता’
बनारस के एक साधारण युवक ने यह साबित किया है की मुश्किल नहीं है कुछ भी, अगर ठान लीजिए। मौत से जूझते लोगों की जिंदगी बचाने को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ब्लड डोनर नेटवर्क तैयार कर दिया है। बस हेल्पलाइन पर कॉल करने की देर, देश के किसी भी हिस्से में स्थित अस्पताल में भर्ती व्यक्ति का जीवन बचाने को दो घंटे के अंदर नि:शुल्क ब्लड पहुंचना तय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस प्रयास को सराह चुके हैं। नैशनल ब्लड नेटवर्क से 286 संस्थाएं जुड़ी हैं। इनके एक लाख रक्तवीरों को ‘ब्लड कमांडो’ नाम दिया गया है। बनारस के 30 वर्षीय सौरभ मौर्य ने हैदराबाद विश्वविद्यालय से एमबीए करने के बाद नौकरी तलाशने की बजाए ऐसा रास्ता चुना, जिससे समाज में बदलाव लाया जा सके। खुद खून देकर लोगों को नया जीवन दिया तो अपनी सोच वाले युवाओं को जोड़ने के लिए ‘साधना फाउंडेशन’ का गठन किया। बनारस और पूर्वांचल के अस्पतालों में खून की कमी के कारण होने वाली मौतों को रोकने की मुहिम रंग लाती दिखी तो कारवां आगे बढ़ने लगा। देश भर की कई संस्थाएं जुड़ती गईं और नैशनल नेटवर्क तैयार हो गया। केरल या चेन्नै हो या फिर कश्मीर के किसी अस्पताल में भर्ती व्यक्ति का जीवन बचाना हो, सेना के कमांडो की तरह केरला ब्लड डोनर्स सोसाइटी, जम्मू की न्यू यंग ब्लड ऑर्गनाइजेशन, पंजाब के हिन्दुस्तान वेलफेयर क्लब या फिर वॉलंटरी ब्लड डोनर सोसाइटी व इन जैसी संस्थाओं के ‘ब्लड कमांडो’ हर समय मुस्तैद मिलेंगे। सौरभ के रक्तदान आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो नियमित अंतराल पर रक्तदान करने वाले भी चौंक जाएंगे। 30 साल की उम्र पूरी होने तक वे 38 बार ब्लड और 13 बार प्लेटलेट्स दे चुके हैं। उनकी कोशिश से 100 से ज्यादा रक्तदान शिविरों के जरिए 10,00 से ज्यादा यूनिट ब्लड जरूरतमंदों के लिए ब्लड बैंकों को उपलब्ध करवाया गया है।