काश रानू द्विवेदी गरीबी के साथ साथ आरक्षण जाति के अंतर्गत आती …. .
कानपुर में एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है उसके बाहर एक झोपडी में छोटा सा ढाबा है जहा रिक्शेवाले , कुली , ऑटो ड्राईवर यही लोग उसके ग्राहक है | मै बचपन से वहा जाती थी खेलने , ढाबे में मेरे बराबर की एक ” रानू द्विवेदी ” लड़की भी रहती थी उससे मेरी दोस्ती हो गयी हम दोनों रोज स्टेशन की सीढियों ओर प्लेटफ़ॉर्म पर खेलते थे | साथ साथ खेलते खेलते हम दोनों आपस में पढाई के बारे में भी बात करते थे , वो मुझ से एक क्लास आगे थी और किसी छोटे से स्कूल में पढ़ती थी | समय के साथ मै क्लास 6 में नवोदय हॉस्टल में चली गयी और रानू द्विवेदी की माँ ने गरीबी के हालात में भी उसकी पढाई नहीं छुडवाई | जब भी मै छुट्टियो में आती तो उससे मिलने जरुर जाती थी |अब की बार छुट्टियों में भी उससे करीब करीब रोज ही मिल आती थी क्यों की उसके पास फोन नहीं है | अब की बार मेरी उससे जो बात हुई वो सुन मेरी आँखों में आशू आ गये | इस बार रानू ने 12th ( फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी ) की परीक्षा 81 % मार्क्स ले के पास किया है और हाई स्कूल 85 % मार्क्स लायी थी | मैने पूछा अब क्या करोगी , बोली पोलिटेक्निक की परीक्षा दी थी लेकिन रायबरेली में कॉलेज मिला था तो कहा जा पाती इतना पैसा कहा है माँ ने पढ़ा दिया यहाँ तक वही बहुत है | मैने कहा यहाँ कानपुर में किसी कॉलेज से मेडिकल की पढाई कर लो | उसके आखो में आसू भर आये मैने चुप कराया पानी पिलाया तब वो आगे बोल सकी , पल्लो अब पहले कोई जॉब खोज रही हू , जब जॉब मिल जाएगी तो उस पैसे से आगे पढुगी | मै समझ गयी कि रानू द्विवेदी के पास इतना पैसा नहीं है कि वो कही अच्छे कॉलेज में दाखिला ले सके , साथ ही मे अपने छोटे भाई को भी पढ़वाना है | एक छोटे से ढाबे से इतना पैसा नहीं कम पा रही है उसकी माँ जो अपने मकान का किराया 1000 रुपया दे साथ ही दो बच्चो को उच्चशिक्षा दिला सके | अपर कास्ट होने के करण उसको कोई सरकारी सुविधा नहीं मिलती है , हर साल नगर निगम वाले उसके ढाबे की झोपड़ी गिरा देते है , साल भर धमकी दे मुफ्त का खाना खा जाते है | कल मै उसके घर गयी थी देख कर बस मूक रह गयी एक प्रतिभा किन हालात में रह रही है और सिस्टम की कमी की वजह से आगे बढ़ने से लाचार है | तभी सोच लिया रानू द्विवेदी की कहानी सोशल मीडिया पर लिखना है और देखते है क्या रिस्पोंस मिल रहा है | रानू को अब इन हालात में क्या करना चाहिए ?
स्रोत – पल्ल्वी कौर जौहर (सोशल मीडिया )