‘‘गढ़वाली गाथाओं में लोक और देवता’’ नामक पुस्तक का विमोचन
देहरादून, एक ऐसा राज्य गीत तैयार किए जाने की आवश्यकता है जिसमें उत्तराखण्ड के प्रत्येक क्षेत्र का समावेश हो। मोबाईल युग की युवा पीढि को लोक संस्कृति से जोड़े रखने के लिए विशेष प्रयास करने होंगे। हमारी लोक संस्कृति की समृद्ध परम्परा है। इसे बचाए रखने के लिए प्रबुद्धजनों को आगे आना होगा। राज्य सरकार इसमें हर प्रकार का सहयोग देने को तैयार है। रविवार को बीजापुर में शोध पुस्तक ‘‘गढ़वाली गाथाओं में लोक और देवता’’ पुस्तक का विमोचन करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि लोकसंस्कृति के संरक्षण के लिए सरकार हर सम्भव प्रयास कर रही है। जनजातिय संस्कृति के संरक्षण के लिए दो संग्रहालय बनाये जा रहे हैं। वाद्ययंत्रों के संरक्षण के लिए भी दो संग्रहालय बनाए जाएंगे। राज्य के वाद्ययंत्र का चयन करने के लिए समिति द्वारा विचार किया जा रहा है। सीएम ने पुस्तक के लेखक डाण्वीरेंद्र बत्र्वाल को बधाई देते हुए कहा कि पुस्तक में इतिहास को लोकगाथाओं व लोकदेवताओं के साथ लिया गया है। उत्तराखण्ड की संस्कृति बहुत समृद्ध है। जागर को महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कुमायंूए गढ़वाल सहित पूरे प्रदेश के जागर को संहिताबद्ध करने की आवश्यकता पर बल दिया। दून विश्वविद्यालय को जागर को संहिताबद्ध करने व पांडुलिपियों को संरक्षित करने के लिए कहा गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड की भाषाओं को बोलियों के स्तर से आगे बढ़ाकर देश की आधिकारिक भाषा में शामिल करने के लिए यहां के लेखकों को प्रयास करने होंगे। लोकसंस्कृति पर पुस्तकों के लेखन के लिए सरकार मदद करेगी। उन्होंने लोकगीतकारों का आह्वान किया कि एक ऐसा राज्य गीत बनाया जाए जिसमें यहां के सभी क्षेत्रों की भाषाओं का समावेश हो। सरकार इस पर पुरस्कार राशि का भी प्राविधान करेगी। शिक्षा मंत्री मंत्रीप्रसाद नैथानी ने डाण्बत्र्वाल को बधाई देते हुए कहा कि राज्य के विद्यालयों की लाईब्रेरी में उत्तराखण्ड की संस्कृति पर आधारित पुस्तकें रखे जाने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इससे अच्छा अवसर क्या हो सकता है कि लोकगाथाओं पर आधारित पुस्तक का विमोचन श्री हरीश रावत जैसे लोकनेता के करकमलों से हो रहा है। इस अवसर पर केबिनेट मंत्री प्रीतम सिंहए प्रसिद्ध लोक गायक प्रीतम भरत्वाणए वरिष्ठ पत्रकार राजीव नयन बहुगुणाए जयसिंह रावतए सहित अन्य महानुभाव उपस्थित थे।