डीजीपी को सुप्रीम कोर्ट से राहत
देहरादून। उत्तराखण्ड के डीजीपी के खिलाफ भाजपा नेता व आंदोलनकारी रविन्द्र जुगरान ने उच्च न्यायालय में पीआईएल दाखिल कर उनकी नियुक्ति को चुनौती दी थी। रविन्द्र जुगरान ने इस याचिका का निस्तारण न होने पर सुप्रीम कोर्ट की भी शरण ली थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को एक सिरे से खारिज कर दिया था। इस जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई की और आज सुबह जब इस मामले में दोबारा सुनवाई हुई तो न्यायालय ने डीजीपी के खिलाफ दर्ज की गई इस जनहित याचिका को यह कहकर खारिज कर दिया कि यह याचिका वादी ने किसी और के कहने पर दायर की थी और इसमे कोई जनहित नजर नहीं आता। उच्च न्यायालय के इस आदेश से जहां डीजीपी को बड़ी राहत मिली वहीं आंदोलनकारी को एक बड़ा झटका लगा है क्योकि उन्होंने यह जनहित याचिका लंबे समय से उच्च न्यायालय में दायर की हुई थी। गौरतलब है कि आंदोलनकारी नेता रविन्द्र जुगरान ने प्रदेश के डीजीपी बी0एस0 सिद्धु के खिलाफ उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमे उन्होंने पद पर गलत तौर से नियुक्ति और पद का दुरूपयोग कर पर्यावरण को नुकसान पंहुचाने का आरोप लगाया था। उच्च न्यायालय में रविन्द्र जुगरान की याचिका का निस्तारण न होने पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रविन्द्र जुगरान की याचिका को खारिज कर दिया था। इस जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय में पिछले चंद दिनों से लंबी सुनवाई चल रही थी। आज उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायधीश के0एम0 जोसफ और न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की खण्डपीठ ने डीजीपी के खिलाफ दर्ज की गई जनहित याचिका को एक सिरे से खारिज कर दिया। बताया जा रहा है कि न्यायालय ने यह भी अंकित किया कि रविन्द्र जुगरान ने किसी दूसरे के कहने पर उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की है। न्यायालय के इस आदेश जहां राज्य के डीजीपी बी0एस0 सिद्धु को एक बड़ी राहत मिली है। वहीं लंबे समय से जनहित याचिका दायर करने वाले रविन्द्र जुगरान को न्यायालय के इस अदेश से बड़ा झटका लगा है।