नहाय-खाय के साथ छठ पर्व का शुभारम्भ
देहरादून | नहाय-खाय के साथ रविवार को छठ पर्व की शुरुआत हो गई है। इसके लिए दून के घाटों की सफाई और विभिन्न इलाकों में छठ पूजा स्थल तैयार किए जा रहे हैं। मुख्य पूजा कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी और सप्तमी को की जाती है। षष्ठी को अस्त होते सूर्य और सप्तमी को उदय होते सूर्य को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार छठी मैया सूर्य की बहन हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए सूर्य की आराधना की जाती है। इस दिन सूर्य की भी पूजा की जाती है। माना जाता है जो व्यक्ति छठ माता की पूजा करता है, छठी मैया उनकी संतानों की रक्षा करती हैं। मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, लंकापति रावण के वध के बाद जब कार्तिक माह की अमावस्या को भगवान राम अयोध्या पहुंचे तो उन्होंने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों की सलाह से राजसूय यज्ञ किया। इस यज्ञ के लिए अयोध्या में मुग्दल ऋषि को आमंत्रित किया गया। मुग्दल ऋषि ने मां सीता को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्यदेव की उपासना करने की सलाह दी। इसके बाद मां सीता ने मुग्दल ऋषि के आश्रम में छह दिनों तक सूर्यदेव की पूजा की थी। इसके बाद से ही यह पर्व मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। दून में छठ महापर्व की रोनक बाजारों में दिखाई दे रही है। लोग पूजा के लिए सूप, डाला, आम की लकड़ी, हल्दी और अदरक की पौध की खरीददारी कर रहे हैं। वहीं चकोतरा, गन्ना, नारियल, फल, मखाने, सौंफ, इलायची, खाजा मिठाई भी बाजार में बिक रही है। लोग अपने घरों में मिट्टी के चूल्हे भी तैयार कर रहे हैं। मिट्टी के चूल्हे पर ही छठ पर्व का प्रसाद बनाया जाता है। बाजार में पीतल के सूप और डाला भी बिक रहे हैं।