बिन्दाल एवं रिस्प्ना की जर्जर हालात पर मैड ने सांझा किया आँखों देखा हाल
बिन्दाल एवं रिस्प्ना दोनों को बचाने हेतु ठोस कदम की की माँग |
देहरादून|देहरादून के छात्र संगठन, मेकिंग ए डिफरेन्स बाइ बीयिंग दा डिफरेन्स (मैड) ने मंगलवार को रिस्प्ना ऐवम बिन्दाल नदियों पर अपने द्वारा बनाई गयी यथा-स्थिति शोध रिपोर्ट को जारी किया | इस शोध रिपोर्ट को मैड के ही सदस्यों ने रिस्प्ना और बिन्दाल की पद यात्रा कर के बनाया | इस रिपोर्ट को बनाने में ही आधा दर्जन से ज़्यादा बार मैड ने पद यात्रा के आयोजनों को तीन चरणों में किया | पहले चरण मे बिन्दाल नदी को लिया गया और बिन्दाल पुल से नदी के स्त्रोत् तक तीन पद यात्रा अभियान चलाए गये| दूसरे चरण में ऐसे ही अभियान रिससपाना पुल से रिस्पाना के स्त्रोत् तक चलाया गया|अपने बिन्दाल नदी के अभियान में मैड ने पाया कि नदी तो बची नहीं, पर कूड़े, कबाड़, शौच, अतिक्रमण का एक अथा: सागर अब बिन्दाल नदी के तल पर पनप रहा है | जैसे जैसे मैड के सदस्य राजपुर की ओर बढ़ते गये उन्होने, अतिक्रमण ऐवम कूड़े के कयी ढेर देखे | यह भी देखा गया कि लोग ऐसी अमानवीय परिस्थितियों में भी वहीं रह रहे हैं | आगे मैड पेसिफिक मौल के पीछे होते हुए ज़ोहरी गाऊ के रास्ते बढ़ता गया और मसूरी डाइवर्षन रोड के उपर चढ़ते हुवे साई मंदिर तक पहुचा | वहाँ ICM कॉलेज के पास पहुचने पर मैड के सदस्यों ने नदी के स्त्रोत को ढूनडने की कोशिश करी जो शिव बाओली मंदिर से आती हुई पाई गयी | शिव बाओली मंदिर से नदी का पानी टोक बाज़ार से आती हुई जलधारा ही है | पूरे इलाक़े में मैड को प्लास्टिक पौलिथीन जैसी हानिकारक सामग्री हे दिखाई दी जो किसी के भी मन को विचिलित करने में सक्षम थी | अगर बिन्दाल की स्थिति पीढ़ा दायक थी, तो रिस्पाना की स्थिति बयान करने को तो किसी के पास शब्द ही ना बचें | रिस्पाना की जर्जर हालत बिंदल से काई गुना खराब हैं | यहाँ तो कूड़े के इतने सारे ढेर लग गये हैं की वही रिस्पाना के तट को निर्मित करते हैं आर्थात मिट्टी के भाँति रिस्पाना के तट का एक भाग हे बन गये हैं | रिस्पाना पुल से नीचे चलते चलते मैड ने फिर वही अतिक्रमण देखा, एक बड़ी JCB भी देखी और साफ़ साफ़ हलन के कार्यों का भी जायज़ा लिया | आगे बढ़ते हुवे संजय कालोनी के पास मैड ने वही देखा जो पहले मोहिनी रोड के पास भी देखा था अर्थात् काई नाले अपने संग गंदा पानी लेते हुवे सीधे रिस्पाना में जा कर मिल रहे थे | उपर चढ़ते हुए रिस्पाना से दो मुहाने अर्थात् एक राजपुर की तरफ और एक तपोवन की तरफ देखने को मिले और मैड ने राजपुर की ओर रुख़ किया | इस रास्ते में नयी बस्ती, अधोईवाला, चूना भट्टा, शास्त्री नगर इत्यादि जगहें पड़ी जो की शिव मंदिर अधोईवाला तक पहुची | इस रास्ते से होते हुवे जब मैड की टीम आगे बढ़ी तो सिर्फ़ कूड़े के बड़े-बड़े ढेर ही देखने को मिले | यह देखना ज़्यादा दुखदायी इसलिए था क्यूंकी रिस्पाना नदी में पानी का बहाव तब भी ज़्यादा था लेकिन जब रास्ते में कुछ बत्तताकों को सुवरों के बीच शुद्ध पानी क लिए तरसते हुए देखा तब कुछ सदस्यों की तो आँखें ही नम हो गयी | मैड के सदस्य आगे बढ़ते हुए हैप्पी एंक्लेव के रास्ते किशनपुर, गब्बर बस्ती से बढ़ते हुवे शिखर फॉल्स के बहुत पास पहुच गये जहाँ ट्रेक को रोका गया | इन दोनों नदियों क बारे में मैड ने देखा की जैसे जैसे वो स्त्रोतों के पास पहुचे, नदियों मे हरियाली वापस आई, पानी भी ज़्यादा देखने को मिला क्यूंकी वहाँ अतिक्रमण के स्तर कम थे | लेकिन मैड ने यह भी देखा की अतिक्रमण बड़ी तेज़ी से बढ़ रहा है और यदि भारी वर्षा से रिस्पाना और बिंदल में अधिक मात्रा मे पानी आता है तो वा मलिन बस्ती निवासियों क लिए प्राणघातक भी हो सकता है | गौरतलब है की मैड इन दोनो नदियों की संरक्षण की माँग अपने हर स्थापना दिवस क समाहरो में विगत तीन वर्षों से उठाते आ रहा है|इसी तरह मैड के इस अभियान को नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने भी लिखित समर्थन दिया था | गौरतलब है की तब भी इस ओर कोई ठोस कदम नही उठाए जा रहे हैं | मैड अब इस मुद्दे को डिस्ट्रिक्ट मॅजिस्ट्रेट, मेयर, मुख्य नगर अधिकारी के समक्ष अपनी शोध रिपोर्ट के साथ साथ उठाने वाला है और उमीद करता है की उसे इस पूरे मामले में जन समर्थन मिलता रहेगा | ट्रेक के अभियान मे मुख्य रूप से हरदीप सिंह, अंकित सज्ज्वान, अंकित बिष्ट, कुनैन अंसारी, जय शर्मा, सौम्य रौथान, कार्तिकेय खत्री, काशिका महंत इत्यादि ने अहम् भूमिका निभायी| आज की वार्ता को मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी ने मुख्य रूप से संबोधित किया और मैड के ही हिमालय रमोला, सौरभ नौटियाल, कारन कपूर, शौरव उपाध्याय, अलोक भट्ट, सिमरन, शार्दुल इत्यादि मौजूद रहे|