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मैड संस्था के साठ युवाओं ने रिस्पना नदी के सबसे दूषित क्षेत्र की सैर करी

देहरादून के शिक्षित छात्रों के संगठन, मेकिंग ए डिफ्फेरेंस बाय बीइंग द डिफ्फेरेंस (मैड) संस्था के साठ युवाओं ने रिस्पना नदी के सबसे दूषित क्षेत्र की सैर करी। दून विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार से शुरू हुई इस सैर में शहर के कई विद्यालयों एवं कॉलेजों में पढ़ रहे छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया। सबसे पहले यह पदयात्रा मोथरोवाला स्थित सीवर के उपचार संस्थान पहुंची और वहां से सब सीधे नदी में ही घुस गए। नदी पर चलते चलते यह साथ जुनूनी युवक युवतियां दीप नगर तक जा पहुंचे। रिस्पना नदी का जायज़ा लेते समय युवाओं को भारी कष्ट एवं विकट परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। नदी तल पूरी तरह प्लास्टिक एवं पॉलीथीन से लबरेज़ था। हर जगह इंसानी मल मूत्र की बू आ रही थी और चलना तो दूर, नदी के किसी भी क्षेत्र में मात्र कुछ सेकंड खड़े होना भी दूभर सा प्रतीत हो रहा था। ऐसे भीषण हालातों में भी युवाओं ने अपना हौसला जारी रखा और नदी पर चलते रहे। नदी पर चलते हुए युवाओं ने देखा कि अभी भी कई रंग बिरंगे पक्षी नदी के आस पास मंडरा रहे थे। नदी का स्वरूप बहुत काला हो रखा था और उसका बहाव बहुत अस्थिर था। कई जगह वह चौड़ी हो जा रही थी तो कई जगह  आहूत उथली हुई सी थी। इस वजह से नदी तल पर चलते रहना बहुत मुमकिन नहीं था और कई जगह सदस्यों को नदी के बहाव को पार करना पड़ रहा था। कभी नदी के बाईं तरफ से दाईं तरफ जा रहे थे तो कभी दाईं तरफ से बाईं तरफ जा रहे थे। ऐसा करने पर संस्था के कई सदस्य अपने आप को कीचड से न बचा सके और घुटने तक कीचड एवं नालों के पानी से सन गए। कइयों के कपडे भी ख़राब हो गए और कुछ तो मुह के बल भी गिर गए। लेकिन संस्था के सभी सदस्यों ने अपनी यात्रा तीन घंटे तक जारी रखी जब तक वह दीप नगर नहीं पहुँच गए। दीप नगर पहुँचने के पश्चात् रिस्पना नदी के प्रदूषण एवं अतिक्रमण पर संस्था ने स्थानीय लोगों से बातचीत करी एवं कुछ जगह जहाँ लोग सार्वजानिक तौर पर कूड़ा दाल रहे थे उनको ऐसा करने से रोका गया। उसके पश्चात संस्था के द्वारा एक नुक्कड़ नाटक की भी प्रस्तुति दी गयी जिसमे नदी के तल पर अतिक्रमण करने, नदी में प्रदूषण करने से स्वास्थ्य को जो संभव हानि है उनके बारे में स्थानीय लोगों को अवगत कराया गया। स्थानीय लोगों ने मैड संस्था से यह शिकायत करी कि कूड़ा निस्तारण की वहां कोई व्यवस्था नहीं है और इसी से लाचार होकर वह नदी में अपना कूड़ा फेंकते हैं। इसपर मैड संस्था ने अपने ही सदस्यों में से एक विशेष प्रतिनिधि मंडल का गठन कर दिया जो दीप नगर समेत उस क्षेत्र की जनता की या समस्याओं को एकत्र करके नगर निगम एवं रिस्पना पुनर्जीवन पर गठित विशेस समिति के समक्ष रखेगा। गौरतलब है कि रिस्पना पुनर्जीवन पर मैड का सात साल लंबा अभियान चल रहा है और मैड के सदस्य पहले ही रिस्पना के उद्गम स्थल से उसके गंगा में विलय तक के पूरे क्षेत्र को कई बार माप चुके हैं। रविवार को साथ युवओं को रिस्पना नदी तल की हालात से अवगत करने का मैड का लक्ष्य ही यही था ताकि शहर के ज़्यादा से ज़्यादा युवा रिस्पना पुनर्जीवन की इस मुहीम से जुड़ें और खुद अपने द्वारा बहाए इस पसीने और अपने ऊपर लगे इस कीचड के माध्यम से रिस्पना पुनर्जीवन के लिए जी जान लगाने को तत्पर रहें। इस अभियान में मैड के संस्थापक अध्यक्ष अभिजय नेगी, पल्लवी भाटिया, अक्षिता धवन, श्रेया मिश्रा, शार्दुल असवाल, अक्षत चंदेल, विजय प्रताप ने अहम् भूमिका निभाई।

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