राज्य के अधिकारियों व कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द
प्रदेश में अतिवृष्टि की सम्भावनाओं को देखते हुए ऐहतियातन सभी सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों के अवकाश पर आगामी तीन माह तक रोक लगा दी गई है। पूर्व में स्वीकृत कराई गई छुट्टियों को भी निरस्त कर दिया गया है। सचिवालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग द्वारा राज्य में अतिवृष्टि व भूस्खलन के कारण कुछ स्थानों पर हुए जानमाल की हानि के साथ ही संचालित बचाव व राहत कार्यों की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उक्त निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि आपदा में मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के लिए जिलाधिकारियों को 10-10 हजार रूपए की स्वीकृति दी गई है। वन विभाग भी निशुल्क लकड़ी उपलब्ध कराएगा। लोक निर्माण विभाग भूस्खलन वाले स्थानों से मलबा आदि हटाने के लिए रोबोट जेसीबी की अविलम्ब व्यवस्था करे। संसदीय सचिव व विधायक प्रभावित क्षेत्रों में जाकर वस्तुस्थिति का निरीक्षण करेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने आपदा में जिलों को पहले से स्वीकृत राशि के अतिरिक्त धनराशि स्वीकृत की। यह राशि इमरजेंसी प्रकृति के कार्यों के लिए होगी। पिथौरागढ़ व चमोली को 5-5 करोड़ रूपए, अन्य पर्वतीय जिलों को 3-3 करोड़ रूपए व मैदानी जिलों को 1-1 करोड़ रूपए की अतिरिक्त राशि स्वीकृत की गई। मुख्यमंत्री ने फसलों, कृषि भूमि व मवेशियों के नुकसान की साप्ताहिक तौर पर रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए। जिलों में एसडीआरएफ टीमों की तैनाती जिलाधिकारियों के निर्देश पर की जाए। एसडीआरएफ के साथ होमगार्ड व पीआरडी के जवानों को भी संबद्ध किया जाए। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 200-200 होमगार्ड व पीआरडी के जवानों को आपदाग्रस्त जिलों में तैनात करने के निर्देश दिए। एसडीआरएफ में 100 पैरामेडिक भी नियुक्त किए जाएं। इससे प्रभावित क्षेत्रों में मेडिकल राहत पहुंचाने में मदद मिलेगी। ग्राम प्रहरियों को आपदा सहायक के तौर पर उपयोग किए जाएं। संवेदनशील क्षेत्रों में एक-एक व्यक्ति को चिन्हित कर ग्राम प्रहरी व आपदा सहायक के तौर तैनात किया जाए। इससे सूचनाएं जल्दी मिल सकेंगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि मलबे आदि में दबने या नदियों में मवेशियों के बहने से पेयजल स्त्रोत प्रदूषित हो रहा हो तो जिलाधिकारी इनका ट्रीटमेंट सुनिश्चित कर लें।