सराहनीय : स्कूलों में खेलकूद को बढ़ावा देने पर चर्चा के लिए एक मंच पर आए 100 स्कूलों के 150 कोच
देहरादून। जमीनी स्तर पर ओलंपिक-शैली की खेल चौंपियनशिप शुरू करके खेलों के क्षेत्र में क्रांति लाने का काम करने वाले प्रमुख मल्टी-स्पोर्ट प्लेटफॉर्म स्पोर्ट्स फॉर ऑल (एसएफए) द्वारा हाल ही में उत्तराखंड में एक कोच कॉन्क्लेव आयोजित किया गया। इस कॉन्क्लेव का मकसद राज्य भर के कोचों के माध्यम से राज्य के सभी स्कूलों को प्रोत्साहित किया जा सके, जिससे कि वे दिसंबर में होने वाले आगामी एसएफए चौंपियनशिप में सक्रिय रूप से भाग लें। अहम बात यह है कि बिड़ला ओपन माइंड्स इंटरनेशनल स्कूल, सोशल बलूनी पब्लिक स्कूल, द पेस्टल वीड स्कूल, शिवालिक एकेडमी और जमदग्नि पब्लिक स्कूल सहित 100 स्कूलों के कुल 150 कोचों बैठक में उपस्थित थे। ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारतीय टीम के आधिकारिक पार्टनर एसएफए एक पूरी तरह से एकीकृत डिजिटल प्लस ऑन-ग्राउंड मल्टी-स्पोर्ट्स प्लेटफॉर्म है, जिसका उद्देश्य कोचों को नई विचारधारा और एक बृहत आंतरिक दृष्टिकोण प्रदान करना है, जिससे कि वे खेलों के विकास में अहम भूमिका निभा सकें। कोचों को यह बताया जाता है कि कि वे किस प्रकार राज्य में अधिक से अधिक बच्चों को खेलों के लिए प्रेरित करने की दिशा में उत्प्रेरक बन सकते हैं। इस कॉन्क्लेव का एक खास मकसद पर्दे के पीछे रहते हुए असंख्य छात्रों के कौशल और प्रतिभा को विकसित करने और उन्हें चमकाने की दिशा में काम करने वाले कोचों द्वारा की कड़ी मेहनत को स्वीकार करना भी था, जिनमें से कई अतीत में भारत के लिए भी खेले होंगे। स्पोर्ट्स फॉर ऑल के सह-संस्थापक निशीथ शाह ने कहा, जब खेल की बात आती है तो कोच समाज की रीढ़ होते हैं और एसएफए उनकी उपस्थिति को बहुत महत्व देता है। इस आयोजन ने उन्हें अपनी आवाज सुनाने, ज्ञान साझा करने और अन्य कोचों के साथ बातचीत करने का अवसर दिया ताकि उत्तराखंड में एक संपन्न कोच समुदाय का निर्माण और विस्तार किया जा सके। इस कार्यक्रम में इस बात पर भी चर्चा की गई कि कैसे अधिक से अधिक बच्चों को खेलों में हाथ आजमाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। एसएफए का मिशन खेल को सुलभ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करना भी है, जिससे बच्चों और छात्रों के लिए लाभ को अधिकतम किया जा सके। हमारा लक्ष्य भविष्य में इस तरह के और अधिक सम्मेलन आयोजित करना और बच्चों को शुरू से ही खेल के लिए प्रेरित करने वाले कोचों को प्रोत्साहित करना है।”