सुना था कि भगवान होते हैं, लेकिन वेलमेड हॉस्पिटल में मुझे साक्षात दर्शन हुए …
देहरादून । वेलमेड हॉस्पिटल ने कंजेनाइटल हार्ट डिजीज (जन्मजात हृदय रोग) से पीड़ित महिला का सुरक्षित प्रसव कराया है। इस तरह के केस में मां और बच्चे को बचाना बहुत मुश्किल होता है लेकिन वेलमेड हॉस्पिटल के सीनियर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. चेतन शर्मा व डॉ. सी.पी. त्रिपाठी व गयानोकोलॉजिस्ट डॉ. तरूश्री की देखरेख में मां और बच्चे की जान बचाई जा सकी। इस तरह की प्रेगनेंसी को विश्व स्वास्थय संगठन ने रिस्क कैटेगरी में तीसरे नम्बर पर रखा है लेकिन देहरादून की शबाना (बदला हुआ नाम) को शायद ये बात पता नहीं थी। जब वह पांच महिने की गर्भवती हुई तो उन्होंने कई डॉक्टर्स को दिखाया लेकिन कई अस्पतालों ने हाथ खड़े कर दिए और इतनी जोखिम भरी प्रेग्नेंसी का इलाज करने से मना कर दिया, फिर शबाना टर्नर रोड़ स्थित वेलमेड़ हॉस्पिटल आई, जहां डॉ. तरूश्री, डॉ. चेतन शर्मा और डॉ. सी.पी. त्रिपाठी की देखरेख में इलाज चलाया गया। डॉ. तरुश्री ने प्रसव होने तक मरीज की मॉनिटरिंग की, डॉ. चेतन शर्मा ने हर महीने दिल की जांच की। जुलाई में मरीज प्रसव पीड़ा के साथ अस्पताल में भर्ती हुई, क्योंकि दिल की बीमारी के कारण मरीज को एनेस्थिसिया देना भी जोखिम भरा हो सकता था, इसलिए पहले नॉर्मल डिलीवरी करने की कोशिश की गई लेकिन हाई रिस्क प्रेगनेंसी होने के कारण सिजेरियन डिलीवरी ही करनी पड़ी।
ऑपरेशन के दौरान मरीज को हार्ट फेलियर भी हुआ लेकिन कॉर्डियोलॉजी व क्रिटिकल केयर की टीम ने डॉ. तरूश्री के साथ मिलकर मां व बच्चे की जान बचाई। प्रसव के बाद मां और नवजात दोनों दो दिन तक वेंटिलेटर पर रहें, फिर डॉक्टर्स की देखरेख में पूरी तरह से स्वस्थ होने के बाद अपने घर चले गए हैं। डॉ. तरूश्री का कहना है कि भारत में आज भी लोग प्री प्रेगनेंसी काउंसलिंग नहीं करते हैं, उन्होंने कहा कि बहुत जरूरी है कि जब भी कोई पति-पत्नी बच्चा प्लान करें तो वह डॉक्टर से परामर्श लें, ताकि यदि उन्हें ब्लड़ प्रेशर, ब्लड़ शुगर व अन्य कोई बीमारी हो तो डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही वह बच्चे को जन्म दें। वेलमेड हॉस्पिटल के चैयरमैन डॉ. चेतन शर्मा ने कहा शबाना व उसके बच्चे की जान बचाने के लिए हमने हर ममुकिन कोशिश की और हम कामयाब भी रहें, लेकिन जानकारी के अभाव में शबाना जैसे ना जाने कितने लोग अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ कर जाते हैं, एक मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल होने के कारण हम शबाना और उसके बच्चे की जान बचाने में कामयाब रहें लेकिन बहुत जरूरी है कि लोग अपनी सेहत को लेकर जागरुक रहें। वहीं शबाना के पति ने कहा कि मैंने सुना था कि भगवान होते हैं, लेकिन वेलमेड हॉस्पिटल में मुझे उनके साक्षात दर्शन भी हो गए। उन्होंने कहा कि मैं अपनी गर्भवती पत्नी को लेकर एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काटता रहा लेकिन सभी डॉक्टर्स ने इलाज करने से मना कर दिया लेकिन जब मैं वेलमेड हॉस्पिटल में आया तो डॉ. तरूश्री व डॉ. चेतन शर्मा ने कहा कि वह हर संभव कोशिश करेंगें और उन्होंने मेरे घर की रौनक मुझे सही-सलामत लौटा दी है। इस ऑपरेशन को कामयाब बनाने में डॉ. चेतन शर्मा, डॉ. सीपी त्रिपाठी, डॉ. तरुश्री, डॉ. नेहा सिरोही, डॉ. विवेक कुमार वर्मा, डॉ. शेखर बाबू, डॉ. नेहा काठौर, डॉ. राहुल भट्ट, डॉ. अनिल परिहार, डॉ. माधवी और कैथलैब व ओटी की पूरी टीम का योगदान रहा