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100 दिन : त्रिवेन्द्र सरकार और विकास

Trivendra Singh Rawat-cm

देहरादून | 18 मार्च, 2017 को प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कार्यभार संभाला। राज्य गठन के बाद विधान सभा चुनाव में पहली बार किसी पार्टी को इतना प्रचंड बहुमत मिला है। प्रचंड बहुमत मिलने पर सरकार से जनता की अपेक्षाएं अधिक बढ़ जाती है। ऐसे में जनता की अपेक्षाओं और राज्य के विकास के लिए एक ठोस रोडमैप तैयार करना वर्तमान सरकार की प्राथमिकता बन जाती है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र के नेतृत्व में आज वर्तमान राज्य सरकार 100 दिन पूरे कर रही है। इन 100 दिन में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार की प्राथमिकता क्या है और वह किस दिशा में आगे बढ़ रही है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एक सरल एवं सहज व्यक्तित्व के मुख्यमंत्री है। प्रदेश की कमान संभालते ही अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करते हुए श्री त्रिवेन्द्र ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये है कि सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में है। किसी भी प्रदेश के विकास में वहां के आधारभूत अवस्थापना सुविधाओं का अहम योगदान होता है। राज्य गठन के बाद से यह पहला मौका है, जब किसी सरकार ने अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर फोकस किया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने सबसे पहले इसी दिशा में अपने कदम बढ़ाये। उनके इस प्रयास में केन्द्र सरकार का भी पूरा सहयोग मिला। जिसका परिणाम यह रहा कि राज्य के महत्वपूर्ण स्थलों को रेल सेवा से जोड़ने की योजना पर कार्य शुरू हो गया है। पहले ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक रेलवे लाइन की घोषणा हुई थी, लेकिन सरकार के प्रयासों से अब यह परियोजना बद्रीनाथधाम व सोनप्रयाग तक स्वीकृत हो चुकी है। इसके साथ ही मुज्जफरनगर-देवबंद के मध्य भी रेल लाइन शीघ्र पूरी होने वाली है। इन सब प्रयासों को यदि देखा जाय तो आने वाले समय में दिल्ली से जोशीमठ तक सीधी रेल सेवा प्रदेशवासियों के साथ ही देश-विदेश से आने वाले तीर्थ यात्रियों को मिल सकेंगी। यह रेल परियोजना उत्तराखण्ड के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। केन्द्र सरकार ने स्थानीय युवाओं को रोजगारपरक प्रशिक्षण देने एवं उनकी आजीविका के साधनों को बढ़ाने के लिये कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय भी देहरादून में खोलने का निर्णय लिया है। यह प्रथम अवसर होगा जब इस मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय दिल्ली से बाहर खोला जायेगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने एक और अहम कदम उठाया है, जिसके तहत लोक निर्माण, पेयजल, जल संस्थान, सिंचाई, ग्रामीण अभियंत्रण जैसे विभागों को उनके नियमित बजट के अतिरिक्त 250 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। इसके पीछे सरकार की मंशा है कि बजट के अभाव में छोटे-छोटे कार्य बाधित होते है, उन्हें पूरा किया जा सके। लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिये गये है कि 250 करोड़ के अतिरिक्त बजट से पुल एवं संपर्क मार्ग आदि का निर्माण किया जायेगा, जबकि जल संस्थान व पेयजल विभाग को निर्देश दिये गये है कि पौड़ी, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, देहरादून, नैनीताल जैसे जनपदों में बड़े-बड़े बहुद्देशीय जलाशय बनाये जाय। इससे क्षेत्रों में पेयजल व सिंचाई की समस्या का समाधान हो सकेगा। राज्य सरकार ने स्वास्थ्य सुविधाओं को अपनी शीर्ष प्राथमिकता में रखा है, जिसके लिए राज्य गठन के बाद पहली बार ऐसा निर्णय लिया गया, जिसमें मैदानी क्षेत्रों में वर्षों से तैनात डाॅक्टरों को पहाड़ों पर भेजा गया है। इसके साथ ही सरकार द्वारा शीघ्र ही 200 डाॅक्टरों के पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इसके लिए चिकित्सा चयन बोर्ड के माध्यम से कार्य किया जा रहा है।  वर्तमान राज्य सरकार ने एक और अहम निर्णय लिया है जिसके अनुसार सीमंात एवं लघु किसानों को 2 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जायेगा। इससे किसानों के आजीविका में वृद्धि होगी, जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा पूरा सहयोग दिया जायेगा। सरकार का लक्ष्य है कि इस योजना से 1 लाख किसानों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। इसके तहत फ्लोरीकल्चर, प्रोसेसिंग, बागवानी, फल-फूल सब्जी उत्पादन एवं विपणन आदि कार्य किये जा सकेंगे। मुख्यमंत्री श्री रावत ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये है कि 2021 तक सबको आवास उपलब्ध होना चाहिए। साथ ही वर्ष 2017 तक प्रत्येक गांव, 2018 तक हर तोक तथा 2019 तक हर घर को बिजली से जोड़ा जाय। राज्य सरकार द्वारा यह भी लक्ष्य रखा गया है कि जो बी.पी.एल. परिवार उज्जवला योजना से लाभान्वित नही हो पाये है, उन परिवारों को गैस कनैक्शन उपलब्ध कराये जायेंगे। वर्ष 2022 तक हर बेघर को घर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है।
केन्द्र सरकार द्वारा राज्य में पाॅवर सेक्टर के विकास के लिए एडीबी से मिलने वाले 819.20 करोड़ रूपये के ऋण के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इससे राज्य में नई ट्रांसमिशन लाईन के साथ ही नए सब स्टेशन स्थापित होंगे। साथ ही पुराने सब स्टेशनों की क्षमता में वृद्धि होगी। यह धनराशि ऊर्जा विकास के क्षेत्र में मील का पत्थर सिद्ध होगी। राज्य को मिलने वाली इस धनराशि से समयबद्ध रूप से 173.5 मेगावाट की जल विद्युत परियोजनाएं पूरी होगी। देहरादून, हल्द्वानी एवं हरिद्वार को जल्द नई रिंग रोड मिलेगी, इस दिशा में कार्य शुरू कर दिया गया है। गढ़वाल एवं कुमाऊं की कनैक्टिविटी के लिए कंडी मार्ग को खोलने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इसके लिए केन्द्र सरकार के स्तर पर प्रभावी पहल की जा रही है। भारत सरकार से 22 सड़कों को राष्ट्रीय हाईवे बनाने के लिए भी सहमति मिल चुकी है। इससे राज्य की सड़कों के निर्माण और मरम्मत कार्य में सहायता मिलेगी। राज्यहित में सरकार ने एक और अहम निर्णय लिया, जिसके तहत 5 करोड़ रुपये धनराशि तक के कार्य राज्य के मूल निवासियों को ही दिये जायेंगे। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने रोजगार के अधिक से अधिक अवसर सृजित करने के उद्देश्य से सभी विभागों को निर्देश दिये है कि विभागवार रिक्त पदों की रिपोर्ट सरकार को भेजी जाय। वर्तमान में लगभग पटवारी के 1100 रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया है। इसके साथ ही अन्य विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती प्रक्रिया भी शीघ्र शुरू कर ली जायेगी। उच्च शिक्षा में शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए उच्च शिक्षा चयन आयोग का गठन किया गया है। पशुपालन विभाग में 100 पदों पर भर्ती प्रक्रिया जायेगी, जिसमें पशुधन प्रसार अधिकारी एवं पशु चिकित्सक के पद शामिल है। भर्ती प्रक्रियाओं में पूर्णतः पारदर्शिता रखी जायेगी। राज्य सरकार की स्पष्ट सोच है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार को किसी भी कीमत पर बर्दाशत नही किया जायेगा। इसका उदाहरण एन.एच.74 मुआवजा प्रकरण सबके सामने है। श्री त्रिवेन्द्र ने करप्शन पर जीरो टालरेंस के सिद्धांत का कड़ाई से पालन करते हुए इस केस को सी.बी.आई. को भेजा और जब तक सी.बी.आई. ने इस केस को ले नही लिया, तब तक एस.आई.टी. अपना काम कर रही है। अब तक एस.आई.टी. की जांच में 200 से अधिक फाईल मिल चुकी है, 6 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, जबकि 2 को गिरफ्तार किया गया है। राज्य सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़ते हुए एक और कदम उठाया, जिसमें विवादास्पद यूपी निर्माण निगम को राज्य में निर्माण कार्य हेतु प्रतिबंधित कर दिया गया है। अब केवल राज्य सरकार की अपनी निर्माण एजेंसियां ही कार्य करेगी। राज्य गठन के बाद से उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड सरकार के मध्य लंबित परिसंपत्तियों के प्रकरण पर कोई ठोस कार्यवाही नही हुई। लेकिन मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कार्यभार संभालते ही सबसे पहले इस प्रकरण पर राज्य के नौकरशाहों के साथ विचार-विमर्श कर निर्देश दिये कि इस प्रकरण का समाधान शीघ्र किया जाय। मुख्यमंत्री स्वयं इस मामले पर निगरानी रख रहे है। इसका परिणाम यह रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार व उत्तराखण्ड सरकार के मध्य एक सकारात्मक वार्ता आगे बढ़ी है। उम्मीद की जानी चाहिए कि परिसंपत्तियों के लंबित मामले का समाधान शीघ्र होगा। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने अपनी दूरगामी सोच और सार्थक प्रयासों से राज्य के विकास के लिए नई नींव रखने का काम शुरू किया है। इसमें केन्द्र सरकार की योजनाओं का लाभ राज्यवासियों को मिल सके, इसके लिए हर संभव कार्य शुरू किये गये है।

 

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