आँखे नहीं फिर भी फतेह किया हिमालय, जानिए ख़बर
पुणे | जब हौसलों की उड़ान हो तो बड़ो का साथ हो तो हर नामुमकिन मुमकिन में परिवर्तित होना तय है ऐसे ही एक जज्बा अपने पिता के साथ एक टैंडम साइकल पर 15 साल की मनस्वी भाटी ने हिमाचल प्रदेश के मनाली से जम्मू-कश्मीर के खारदूंग ला पास तक का सफर तय कर एक मिसाल कायम की है। यही नहीं आप को मालूम हो की क्योंकि मनस्वी अपनी आंखें खो चुकी हैं। विदित हो की टैंडम साइकल में दो सीटें और दो पैडल होते हैं। इसे दो लोग मिलकर चलाते हैं। मनस्वी और उनके पिता भारत में पहली बार हो रहे टैंडम साइकल अभियान का हिस्सा थे। वह उन 10 जोड़ों में से थे जिन्होंने 2 हफ्तों से भी कम समय में यह सफर तय किया। मनस्वी इसमें सबसे कम उम्र की प्रतिभागी थीं। इस अभियान को अडवेंचर बियॉन्ड बैरियर्स फाउंडेशन ने आयोजित किया था। इसका लक्ष्य किसी भी तरह की अक्षमता से जूझ रहे लोगों और दूसरे लोगों को साथ लाकर अडवेंचर स्पोर्ट्स में शामिल करना है।