८५ साल की बुजुर्ग महिला शीला घोष से सीखे जीवन जीना
हौसलों की उड़ान हो तो हर एक नामुमकिन काम मुमकिन में तब्दील होने में समर नहीं लगता है | ऐसी ही एक जीतिजागति कहानी है कोलकत्ता के हावड़ा (हुगली ) की | ८५ साल की बुजुर्ग महिला शीला घोष अपने परिवार में पोते के साथ अकेले रहतीं है | शीला के पुत्र का ७ साल पहले गंभीर बीमारी के कारण मौत हो गई थी | इस संकट की घडी में यह बुजुर्ग महिला अपनी हिम्मत नहीं खोई पोते की परवरिश के लिए वह प्रतिदिन पैदल चल कर रविन्द्र सदन मैट्रो स्टेशन के पास हल्दीराम दूकान के सामने पापड़ और पूरी बेचती है | इनके इस हौसलों पर पुरे देश को गर्व होना चाहिए साथ ही साथ उनको अपना आदर्श और प्रेणनास्रोत भी मानना चाहिए जो संकट की घडी में अपना हौसला खो देते है |जनता को ऐसे लोगो की मदद के लिए हमेशा तत्पर्य रहना चाहिए |पहचान एक्सप्रेस शीला घोष को सलाम करती है जो इतने अधिक उम्र में भी हौसले का मन कायम की हुई है |