जरा हटके : 10 साल से भीख माँग रहा भिखारी निकला ऑफिसर, जानिए खबर
ग्वालियर | जीवन किस कदर कब आपसे नाराज़ हो जाए यह किसी को पता नही इसका कोई भरोसा नही यह किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर जाए | ऐसी ही निबानी आयी है एक अधिकारी का | जब यह पता चले कि भिखारी भिखारी न होकर अधिकारी है | जी हाँ विदित हो कि फिल्मों जैसी ये कहानी मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सामने आई है | जहां अपनी गाड़ी से जा रहे डीएसपी ने ठंड से ठिठुर रहे एक भिखारी को देखा तो गाड़ी रोक उसके पास पहुंच गए, तो पाया कि सामने वाला भिखारी भिखारी नहीं, बल्कि उनके ही बैच का ऑफिसर है डीएसपी रत्नेश सिंह तोमर और विजय सिह भदौरिया झांसी रोड से निकल रहे थे तो देखा कि बंधन वाटिका के फुटपाथ से होकर गुजरे तो सड़क किनारे एक अधेड़ उम्र के भिखारी को ठंड से ठिठुरता हुए देखा | गाड़ी रोककर दोनों अफसर भिखारी के पास गए और मदद की कोशिश | रत्नेश ने अपने जूते और डीएसपी विजय सिंह भदौरिया ने अपनी जैकेट उसे दे दी | इसके बाद जब दोनों ने उस भिखारी से बातचीत शुरू की, तो दोनों आश्चर्य रह गए क्यों कि वह भिखारी डीएसपी के बैच का ही ऑफिसर निकला
10 साल से भीख मांग कर काट रहे थे जीवन
पिछले 10 सालों से भिखारी के रूप में लावारिस हालात में घूम रहे मनीष मिश्रा कभी पुलिस अफसर थे मनीष नौकरी में शामिल होने के बाद एमपी के विभिन्न थानों में थानेदार के रूप में पद को सुशोभित करते रहे उन्होंने 2005 तक पुलिस की नौकरी की | लेकिन धीरे-धीरे उनकी मानसिक स्थिति खराब होती चली गई | घरवाले उनसे परेशान होने लगे | परिवार द्वारा इलाज के लिए प्रयास हुआ लेकिन एक दिन वह परिवारवालों की नजरों से बचकर भाग गये |