दोनों पैरो से अपंग लड़की को बनाया अपना जीवनसाथी
समाज में रहने वाले उॅचे विचार वालो की कमी बहुत ही रहती है पर जब कमी में ही कुछ हीरे मिलते है है तो वह निश्चय ही अपने कर्मो में अलग होते है | प्यार की दांस्ता तो अनेक सुने होंगे पर दिनेश और सुष्मिता की कहानी समाज को कुछ और ही सिखाती है |यह दहेज़ लालचीयो के लिए एक सबक है,जो दोनो पैर के होते हूऐ भी पत्नियौ का सम्मान नही करते है, साथ ही साथ प्यार के नाम पर जो लड़कियों को सरेआम चाकू मार देते है तेज़ाब फैक देते है जला देते है ऐसे लोगो के लिए दिनेश द्वारा कुछ सिख सिखने की जरूरत है |यह कहानी है दिनेश और सुष्मिता की। दिनेश मेघवाल(24) निवासी उदयपुर ग्राम लकड़वास और सुष्मिता बागरी (22) निवासी सतना की पहली मुलाकात 2013 में अस्पताल में हुई। दिनेश वहां केयर टेकर थे। सुष्मिता बचपन से एक बीमारी से पीड़ित थी। जिसका इलाज कराने पहुंची थी। जन्म के समय पीठ पर हुआ फोड़ा उसके जीवन की टीस बन गया। इंफेक्शन पैरों तक पहुंच गया। डॉक्टरों ने गलत पैर का ऑपरेशन कर दिया। वह दोनों पैरों से अपंग हो गई। कभी भी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकी। उसे ऐसी बीमार है जिसका डॉक्टर आज तक नाम भी नहीं बता पाए। यह सब जानने के बावजूद दिनेश ने उसे जीवनसाथी बनाने की ठान ली। सुष्मिता के माता-पिता ने मना किया लेकिन वह नहीं माना। मई 2014 में शादी कर ली। सुष्मिता के परिजन ने उसे जान से मारने की कोशिश की। दोनों ने हिम्मत नहीं हारी। दिनेश ने नौकरी खोजी। इंदौर, भोपाल, जबलपुर नौकरी तलाशने निकल पड़ा। काफी भटकने के बाद खंडवा में निजी कंपनी में नौकरी मिल गई। यहां रहने लगे। दिनेश ने सुष्मिता को हिम्मत दी। दिनरात देखभाल की। अपनी मेहनत से दिनेश ने सुष्मिता को कृत्रिम पैर लगाए। अब सुष्मिता कुछ मिनट अपने पैरों से खड़े होकर चलने लगी है।