बढ़ गयी इस गांव के ग्रामीणों की चिंता , जानिए खबर
देहरादून | गंगोत्री यमनोत्री के लिए प्रस्तावित रेलवे लाइन का छठा रेलवे स्टेशन ग्राम धरवाल गांव एवं ग्राम सुंनार गांव की जमीन पर बनाया जायेगा ऐसी जानकारी मिलने धरवाल गांव एवं सुनार गांव के ग्रामीणों की एक बैठक पूर्व प्रमुख जोत सिंह सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जोत सिंह बिष्ट ने उपस्थित ग्रामीणों को अवगत कराया की ग्राम धरवाल गांव एवं ग्राम सुनार गांव की भूमि सबसे पहले टिहरी उत्तरकाशी रोड के लिए, दूसरी बार नहर के लिए, तीसरी बार चंबा धरासू रोड के लिये,चौथी बार टिहरी बांध के जलाशय के लिए, पांचवीं बार ऑल वेदर रोड के लिए और अब छठी बार में बची खुची जमीन को रेलवे स्टेशन के लिए सरकार द्वारा लिया जा रहा है। इस तरह से अब दोनों गांव के सभी परिवार भूमिहीन होने की कगार पर है। बिष्ट ने कहा कि गांव के लोग राष्ट्रीय हित के हर प्रोजेक्ट के समर्थक हैं, लेकिन ऐसे प्रोजेक्ट की वजह से ग्रामीणों को भूमि करना न्यायोचित नहीं है। जोत सिंह बिष्ट ने कहा कि यह लड़ाई छोटी नहीं है। हम सबको एकजुट होकर एक संगठन बना करके अनेकता में एकता का परिचय देकर दोनों गांव के सभी परिवार द्वार इस लड़ाई को मिलकर लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा रेलवे स्टेशन के लिए 40 बीघा भूमि के साथ लोगोंके रियासी मकान भी रेलवे स्टेशन की चपेट में आ रहे हैं, इसलिए घरवाल गांव और सुनार गांव की जमीन पर बनने वाले रेलवे स्टेशन के लिए जिन परिवारों की भूमि ली जाएगी उनको भूमि के बदले भूमि ही मिलनी चाहिए। प्रत्येक प्रभावित परिवार के एक सदस्य को रेलवे द्वार सरकारी नौकरी दी जाए। भूमि लेने से पहले भूमि का बंदोबस्त कराया जाए। इसके अलावा परियोजना के निर्माण के दौरान इससे संबंधित कामों में ग्रामीणों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। निर्माण के दौरान गांव के लोगों की सहमति से ही काम कराया जाए। बुद्धि सिंह बिष्ट ने कहा कि भूमि के बदले उनको भूमि ही मिले इससे कम कोई भी वार्ता रेलवे प्रशासन या जिला प्रशासन से नहीं होगी। इसी विषय पर बोलते हुए पूर्व प्रधानाचार्य प्रताप सिंह बिष्ट ने कहा हमारे पूर्वजों के बसाए हुए गांव को उजड़कर रेलवे स्टेशन बनाने के लिए हमको भूमि के बदले भूमि और वह भी भूमि की पसंद भूमि मालिकों की होगी इससे कम पर कोई बात नहीं होगी। इस मौके पर प्रधान वीरेन्द्र, प्रधान मनोज सिंह, सदस्य क्षेत्र पंचायत धनबीर पुरषोडा, ललित खंडूड़ी, पूर्व प्रधान विक्रम सिंह बिष्ट, पूर्व प्रधान निहाल सिंह, गजेंद्र सिंह रावत, सरोप सिंह, सुमेर सिंह पंवार, अनार चंद रमोला, सुमेरी बिष्ट, गंभीर सिंह, भारत बिष्ट, अमन बिष्ट आदि लोगों ने अपने विचार रखें। बैठक के अंत में आगामी लड़ाई के लिए एक पंद्रह सदस्यों की समिति का गठन किया गया, और तय किया गया कि आगे से यह लड़ाई इस समिति के माध्यम से जोत सिंह बिष्ट के नेतृत्व में लड़ी जाएगी।