जाट आरक्षण रद्द, सुप्रीम कोर्ट का फैसला |
पिछली यूपीए सरकार द्वारा ओबीसी कोटे से जाटों को दिया गया आरक्षण आज सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है| सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जाट आरक्षण की जरुरत नहीं है| कोर्ट ने कहा है कि आरक्षण अगर सिर्फ जातिगत आधार पर केंद्रित है, तो वह स्वीकार नहीं होगा| आरक्षण जाति के साथ आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए होना चाहिए| इस रोक के साथ ही अब जाटों को केंद्रीय नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण नहीं मिलेगा|
आपको बता दें कि यूपीए सरकार के दौरान ये फैसला लिया गया था जिसे मोदी सरकार ने भी जारी रखा था। इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाटों को आरक्षण की आवश्यकता नहीं है।जब 2014 में जाटों को ओबीसी में शामिल किया गया था तो नौ राज्यों में जाटों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलने लगा था।इस पर कुछ ओबीसी संगठनों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी और कहा था कि ऐसा करने से उन जातियों पर असर पड़ेगा जो पहले से ओबीसी लिस्ट में मौजूद हैं। इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ये फैसला दिया है |
याचिकाकर्ता ओमवीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर ख़ुशी जताते हुए इसे न्याय की जीत बताया है| उन्होंने कहा है कि यूपीए सरकार का यह बगैर तथ्यों के लिया गया निर्णय था| सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय से ओबीसी समुदाय का न्याय के प्रति भरोसा बढ़ा है| बता दें कि पिछले साल मार्च में तब की मनमोहन सिंह सरकार ने नौ राज्यों के जाटों को अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी लिस्ट में शामिल किया था। इसके आधार पर जाट भी नौकरी और उच्च शिक्षा में ओबीसी वर्ग को मिलने वाले 27 फीसदी आरक्षण के हक़दार बन गए थे।