पहचान : गरीबी में पली- बढ़ी ज्योति यादव का महिला क्रिकेट टीम में चयन
मिर्जापुर | मिर्जापुर की महिला क्रिकेटर ज्योति यादव इन दिनों चर्चा में है. ज्योति महिला क्रिकेटर है | उनका चयन दिल्ली में डीडीसी की टीम हुआ है | मगर ज्योति के कैरियर में सबसे बड़ी बाधा उसकी गरीबी है | उसके पास क्रिकेट किट नहीं है और न ही दिल्ली जाने के लिए पैसा नहीं है | जबकि 15 जनवरी को दिल्ली जाना है | कहते हैं ना कि प्रतिभा किसी साधन की मोहताज नहीं होती है. इसी कहावत को उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर की रहने वाली 19 साल की महिला क्रिकेटर ज्योति यादव ने सच कर दिखाया है | बेहद ही गरीब परिवार से आने वाली ज्योति का सेलेक्शन दिल्ली की डीडीसी टीम में हुआ है | मगर अब मुश्किल ये है कि उसके पास दिल्ली जाने तक का किराया नहीं है | भारतीय महिला टीम में खेलने का सपना देखने वाली ज्योति यादव मिर्जापुर के कछवा क्षेत्र के आही गांव की रहने वाली है | उसने अपने पिता की कोचिंग में ही अपने गांव में क्रिकेट के गुर सीखे. इसी के दम पर डीडीसी की टीम में जगह भी बनाई | ज्योति यादव ने करीब दो साल पहले पढ़ाई छोड़ दी | ज्योति ने कहा कि घर के काम के साथ ही क्रिकेट में रुचि है. वह प्रयागराज में निजी ट्रेनिंग कैंप में भी गई थीं | वहां एडमिशन लेना था | वहां ट्रेनिंग लेने पर 9 हजार रुपये प्रतिमाह खर्च था | पिता को इस बारे में जानकारी दी | पिता ने आर्थिक तंगी के चलते धनराशि दे पाने में असमर्थता जताई | धनराशि नहीं जमा होने पर उन्हें ट्रेनिंग कैंप से निकाल दिया गया | इसके बाद ज्योति यादव घर पर रहकर ही प्रैक्टिस करती हैं | उनको डीएलसीएल स्पॉन्सरशिप ट्रॉफी खेलने के लिए दिल्ली जाना है, लेकिन ना ही उनके पास क्रिकेट किट है और ना ही जूते हैं, जिसकी वजह से उनका दिल्ली का सफर मुश्किल नजर आ रहा है | ज्योति यादव अपने परिवार में चौथे नंबर की पुत्री हैं | ज्योति गांव में लड़कों के साथ खेलती हैं | वह इंटरमीडिएट के बाद आगे की पढ़ाई नहीं कर सकीं |