कृषि उपकरणों से वेट हटाए जाने पर विचार
टीडीसी द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों में बीज उत्पादन प्रोत्साहन की योजना प्रस्तुत करने पर राज्य सरकार कार्यशील पूंजी के लिए साॅफ्टलोन उपलब्ध करवाएगी। कृषि व उद्यान विभाग कुछ फसलों को चिन्हित कर अग्रिम अनुदान योजना प्रारम्भ करे जिसमें कि किसानों को फसलों के बोने से पहले ही कुछ राशि अग्रिम अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई जाए। शिमला बाईपास पर आयोजित कृषक महोत्सव खरीफ 2015 में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि एक वर्ष में प्रदेश में 600 हेक्टेयर में चाय बागान विकसित किए जाएंगे। पावर ट्रिलर आदि कृषि उपकरणों में यदि विभाग को वेट हटाए जाने की आवश्यकता महसूस होती है तो प्रस्ताव भेजने पर सरकार विचार करेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 9 प्रतिशत भाग ऐसा है जिस पर न तो वन हैं और न ही खेती होती है। इस भाग को उत्पादक भाग के रूप में बदलना है। माल्टा, नींबू व आंवला के पेड़ पर 300 रूपए प्रति वृक्ष जबकि अखरोट पर 400 रूपए प्रति वृक्ष की प्रोत्साहन राशि की योजना प्रारम्भ की गई है। इसके तहत अधिक से अधिक किसानों को जोड़ा जाए। मंडुवा, चैलाय व फाफर के लिए अलग से उत्पादन, संवर्धन व विपणन बोर्ड बनाया जाए। मंडुवा, चैलाय व फाफर के उत्पादन पर बोनस राशि देने के लिए प्रमुख सचिव कृषि योजना बनाकर केबिनेट में प्रस्तुत करें। यह जानकारी दिए जाने पर कि 50 प्रतिशत काश्तकारेां के साॅयल हेल्थ कार्ड बना दिए गए हैं, मुख्यमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इस काम में और भी अधिक तेजी लाई जाए। हर किसान के पास साॅयल हेल्थ कार्ड होना चाहिए। इस अवसर पर जिला पंचायत अध्यक्ष चमन सिंह सहित विभिन्न जनप्रतिनिधि, विभागीय अधिकारी व बड़ी संख्या में किसान उपस्थित थे।