पर्वतीय वानिकी का रूपान्तरण विषयक संगोष्ठी सम्पन
पर्वतीय वानिकी का रूपान्तरण विषयक संगोष्ठी के समापन समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल श्रीकृष्ण कुमार पॉल ने कहा हैकि यह सम्भव नहीं है कि कमजोर मिट्टी से मजबूत पेडों वाले वनों को पाला-पोसा जा सके। ऐसे में वनों के निरंतर घटते स्तर से हमारे जीवन पर प्रभाव पडता है।राज्यपाल ने विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाले स्थान चेरापूंजी का उदाहरण देते हुए कहा कि आज वहां वनों के गिरते स्तर का प्रभाव सीधे तौर पर देखा जा सकता हैं।उन्होने जोर देकर कहाकि उत्तरपूर्वी भारत के जनजातीय इलाकों में पवित्र वनों जैसी कुछ पारम्परिक वनों को पोषित करने की सांस्कृतिक विधियां उपलब्ध करा सकती हैं।अंर्तराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास संस्थान द्वारा संयुक्त आयोजित पांच दिवसीय संगोष्ठी पर्वतीय वानिकी में बदलाव के लिए कई अह्म संस्तुतियों को मूर्त रूप दे सकी। संगोष्ठी के समापन सत्र मेंवनअनुसंधानसंस्थान के निदेशक, डा0 पी0पी0 भोजवैद, डा0 राजन कोटरू, सुश्री आन्या, जी0बी0 पन्त पर्यावरण संस्थान के निदेशक, डा0 पी0पी0 ध्यानी, प्रो0 एस0पी0 सिंह, वन विभाग उत्तराखण्ड के जयराज, एस0टी0एस0 लेप्चा, डा0 भाष्कर कार्की, नवराज प्रधान, डा0 आर0बी0एस0 रावत, लक्ष्मी भट्ट सहित देश विदेश के प्रतिभागी मौजूद रहे।