उत्तर प्रदेश में लगेगा राष्ट्रपति शासन !
लखनऊ। समाजवादी पार्टी में मची कलह क्लाईमेक्स पर पहुंच गई है। राजनीतिक विश्लेषकों की माने तो अगले 24 घण्टे सपा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव खेमा अपनी-अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगा। राजनीतिक विश्लेषक व वरिष्ठ स्तम्भकार राजनाथ सिंह सूर्य की मानें तो 23 अक्टूबर की रात सपा के भविष्य के लिए ‘कत्ल’ की रात और 24 तारीख ‘विघटन’ का दिन हो सकता है। उन्होंने कहा कि चाचा नहीं, मुलायम सिंह बाप व अखिलेश यादव बेटे के बीच की लड़ाई है। शिवपाल यादव एक बहाना मात्र हैं। उन्होंने कहा कि सत्ता से सम्पन्नता जब बढ़ती है, तो ऐसा होना स्वाभाविक होता है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव की मंत्रिमंडल से बर्खास्तगी के बाद अखिलेश सरकार पर भी संकट के बादल छा गए हैं। सपा सूत्रों की मानें तो अखिलेश को मुख्यमंत्री के पद से अपदस्थ करने के लिये राज्यपाल को चिठ्ठी लिखी जा सकती है। इस राजनीतिक घटनाचक्र के बाद सपा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पद से हटाने की कोशिश करेगी। सूत्रों ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पद पर रहते अखिलेश यादव भी बड़ा गेम चल सकते हैं। वे राज्यपाल को चिठ्ठी लिखकर विधानसभा को भंग करा सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो उत्तर प्रदेश एक बार फिर राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ रहा हैं। अगर ऐसा होता है तो 14 साल बाद एक बार फिर यूपी में राष्ट्रपति शासन लगेगा। खबर है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 17 विधायकों व मंत्रियों के मोबाइल फोन जमा कराए हैं। दोनों खेमों की ओर से ताबड़तोड़ लिए जा रहे फैसले से जल्द ही कोई बड़ा फैसला हो सकता है। रामगोपाल यादव से अखिलेश यादव सीधे सम्पर्क में हैं। यूपी के इस राजनीतिक उठापटक को लेकर केन्द्र में भी सरगर्मी बढ़ गई है। उल्लेखनीय है कि समाजवादी पार्टी सपा के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने 24 अक्टूबर को पार्टी के सभी विधायकों, एमएलसी, पूर्व सांसदों, ब्लाॅक सदस्यों समेत पार्टी के सभी पदाधिकारियों को एक बड़ी बैठक बुलाई है। उसके पहले ही मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधानमण्डल की बैठक बुलाकर शिवपाल समेत उनके समर्थकों को मंत्रिमण्डल से बाहर का रस्ता दिखाकर सापफ कर दिया है कि सरकार चलाने में किसी का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं करेंगे।