ब्लड बैंक व अस्पतालों में रक्त की आपूर्ति पारदर्शिता व नियमानुसार होः अनिल वर्मा
देहरादून। उत्तराखंड राज्य एड्स नियंत्रण समिति एवं उत्तराखंड ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल द्वारा सर्वे चैक स्थित आईआरडीटी के सभागार में विश्व रक्तदाता दिवस पर आयोजित राज्य स्तरीय गोष्ठी में रक्तदान से संबंधित अपने ओजस्वी विचारों से युवाओं को स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूक व प्रेरित करने में सफल रहे। यूथ रेडक्रास कमेटी के चेयरमैन व रक्तदान के क्षेत्र में लगभग 150 से अधिक बार स्वयं रक्तदान कर चुके भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत रक्तदाता शिरोमणि अवार्ड, रोटरी इंटरनेशनल लाईफ टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड, लायंस इंटरनेशनल क्लब अवार्ड, यूनेस्को क्लब अवार्ड, रक्तवीर नायक अवार्ड ,यूथ आइकॉन अवार्ड,रक्त रत्न अवॉर्ड, गोल्डन ब्लड डोनर अवार्ड, सर्वश्रेष्ठ रक्त दानवीर समाज सेवा अवार्ड, रक्तदाता सम्राट अवार्ड, रक्त भूषण अवॉर्ड, सुपर सेंचुरियन ब्लड डोनर अवार्ड, अपना परिवार अवार्ड, तथा डॉ० कार्ल लैण्डस्टीनर अवाॅर्ड ,सहित दर्जनों अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य स्तरीय अवार्डों से नवाजे जा चुके अनिल वर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री डॉ० धन सिंह रावत का उनकी सराहना करते हुए विशेष रूप से सम्मानित किये जाने पर हार्दिक धन्यवाद् एवं आभार व्यक्त किया है।
श्री वर्मा ने बताया कि वे सन् 1971 से स्वयं लगातार रक्तदान करते के साथ-साथ रक्तदान शिविर आयोजित करते आ रहे हैं। इसके अतिरिक्त उन्होंने पोलियो, टीबी, कुष्ठ रोग, एड्स, डेंगू, एनीमिया, थैलीसीमिया, अंधता निवारण, नेत्रदान तथा दिव्यांग सहायता आदि स्वास्थ जागरूकता कार्यक्रमों, रैलियों में सक्रिय सहभागिता करते रहते हैं। उनका अपना निजी अनुभव है कि विगत कुछ वर्षों से स्वास्थ्य विभाग में जनहित में वृहद स्तर बड़े ही प्रशंसनीय काम हुए हैं, जो अब भी जारी हैं। इसके लिए उन्होंने स्वास्थ मंत्री तथा चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के समस्त चिकित्सकों व कर्मचारियों को बधाई दी। श्री वर्मा ने रक्तदान-जीवनदान को प्रदेश एवं देश में एक रक्तदान क्रांति को आवश्यक बताते हुए इसमें आने वाली कुछ महत्वपूर्ण समस्याओं का भी जिक्र किया। श्री वर्मा ने उत्तराखंड में युवाओं द्वारा रक्तदान की स्थिति को संतोषजनक तो बताया। परन्तु ब्लड बैंकों में रक्त की डिमांड एंड सप्लाई के असंतुलन को बेहद ही चिंताजनक करार दिया। उन्होंने युवाओं विशेषकर उत्तराखंड में युवा लड़के-लड़कियों में बढ़ती नशा करने की प्रवृत्ति तथा कार्बोनेटेड ड्रिंक्स व फास्ट फूड खाने की आदत को स्वास्थ्य को गंभीर क्षति पहुंचाने वाला बताया।