कैबिनेट मंत्री चंदन रामदास नहीं रहे, प्रदेश में राजकीय शोक घोषित
देहरादून। उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास नहीं रहे। बीमारी के चलते बुधवार को उनका निधन हो गया। तबीयत बिगड़ने पर उन्हें बागेश्वर जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई।वह 65 वर्ष के थे। राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों व जनप्रतिनिधियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
मंत्री चंदन राम दास मंगलवार को देर सांय अपने गृह जनपद पहुंचे थे। बुधवार को उन्हें जिला योजना की बैठक सहित विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल होना था। बुधवार सुबह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी। लगभग पौने 12 बजे के आसपास उन्हें जिला चिकित्सालय में आईसीयू में भर्ती कराया गया था। लेकिन उनका स्वास्थ्य लगातार गिरने लगा। ब्लड प्रेशर कंट्रोल नहीं होने के कारण कार्डियक अटैक पड़ने से उन्होंने अंतिम सांस ली। मंत्री चंदन रामदास के निधन पर प्रदेश में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। 26 से 28 अप्रैल तक राजकीय शोक रहेगा। चंदन राम दास 1997 में नगर पालिका बागेश्वर के निर्दलीय अध्यक्ष बने थे। इससे पूर्व एमबी डिग्री कालेज हल्द्वानी में बीए प्रथम वर्ष में निर्विरोध संयुक्त सचिव चुने गए थे। 2007, 2012, 2017 और 2022 में वह लगातार चैथी बार विधायक चुने गए। कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन पर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने गहरा दुख जताते हुए कहा कि मंत्रिमंडल में हमारे वरिष्ठ साथी चंदन राम दास का निधन पूरे प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने समाज में गरीबों, शोषितों, पिछड़ों के लिए और आम आदमी की भलाई के लिए संपूर्ण जीवन कार्य किया। वे एक संघर्षशील नेता थे। उन्होंने हमेशा समाज के अंतिम छोर में खड़े लोगों की आवाज को उठाने और समाधान की ओर ले जाने का कार्य किया। उनका सरल, सहज एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व था। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा को सभी प्रदेशवासियों की ओर से श्रद्धांजलि देते हुए उनके परिजनों एवं शुभचिंतकों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य प्रदान करने की ईश्वर से कामना की है। मंत्री रेखा आर्या ने ईश्वर से दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान देने व संपूर्ण परिवार को यह दुख सहने की अपार शक्ति प्रदान करने की कामना की है। उन्होंने कहा कि हमने आज एक सरल और संजीदा स्वभाव के नेता को खो दिया दिया है। कहा कि दास जी का असमय चले जाना प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है।