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उत्तर प्रदेश के सीएम और डेप्युटी सीएम की सीटों पर हुए चुनाव में गिरा वोट प्रतिशत

VOTERS

उत्तर प्रदेश की दो सबसे वीआईपी लोकसभा सीटों पर उपचुनाव की वोटिंग संपन्न हो गई है। फूलपुर और गोरखपुर की सीटों पर इस बार पिछले चुनावों के मुकाबले कम मतदान हुआ है। गोरखपुर के जिला निर्वाचन अधिकारी (डीएम) के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र में 47.45 फीसदी वोटिंग हुई, वहीं फूलपुर में 37.39 फीसदी मतदान हुआ है। राज्य निर्वाचन कार्यालय के मुताबिक मतदान सुबह सात बजे शुरू होकर शाम पांच बजे तक चला और यह शांतिपूर्वक संपन्न हो गया। निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि कुछ बूथों पर ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के खराब होने की शिकायतें आईं। तत्काल मशीनों को बदल दिया गया। इस बार मतदाताओं में उत्साह की कमी नजर आई, जिसकी वजह से कम लोगों ने मतदान किया। स्वच्छ एवं निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित करने के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। 2014 में इन दोनों सीटों पर बीजेपी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। यहां तक कि एसपी, बीएसपी और कांग्रेस को मिले सम्मिलित वोट भी बीजेपी के विजयी उम्मीदवार से कम थे। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान फूलपुर में 50.20 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि गोरखपुर में 54.64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। यानी मतदान में पिछले चुनाव के मुकाबले 12 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई है। प्रदेश के सीएम और डेप्युटी सीएम की सीटों पर हुए चुनाव में गिरता वोट प्रतिशत आखिर किस पार्टी के पक्ष में वोटर का रुझान दिखा सकता है। क्या एसपी-बीएसपी के एक साथ आने से बीजेपी को मुश्किल होगी, या बीजेपी को सत्ता विरोधी रुझान का सामना करना पड़ सकता है। एक बार इन संभावनाओं पर गौर करते हैं। दोनों ही लोकसभा सीटों पर शहरी इलाकों की कम वोटिंग बीजेपी के लिए चिंता वाली बात हो सकती है। उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट जिसका क्षेत्र इलाहाबाद के प्रमुख शहरी क्षेत्रों से लेकर यमुनापार के ग्रामीण इलाकों तक फैला हुआ है, बीजेपी की इस चिंता की सबसे प्रमुख वजह है। इलाहाबाद उत्तर विधानसभा में सबसे कम 21.65 फीसदी मतदान हुआ है। यह शहर का सबसे प्रबुद्ध इलाका माना जाता है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी भी इसी क्षेत्र में आती है। इसके अलावा मुरली मनोहर जोशी और प्रमोद तिवारी जैसे बड़े नेता भी इसी विधानसभा के निवासी हैं। कचहरी भी इसी इलाके में है। डेप्युटी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली हुई इस सीट पर कम मतदान से बीजेपी के अंदरूनी संगठन में हलचल मची हुई है। जानकारों का मानना है कि शहर के प्रबुद्ध इलाकों के वोटरों के क्षेत्र में मतदान का आंकड़ा गिरने का नुकसान बीजेपी को हो सकता है। जानकारों का मानना है कि अगर इलाहाबाद के शहरी इलाकों में बीजेपी की वोटिंग कम होती है तो इसका सीधा लाभ एसपी को मिलेगा। दूसरी स्थिति यह भी है कि एसपी-बीएसपी के गठबंधन में इस सीट के पटेल, यादव, मुस्लिम और दलित वोटरों का गठजोड़ भी बीजेपी को झटका दे सकता है। वहीं दूसरी ओर पूर्व सांसद अतीक अहमद की निर्दलीय उम्मीदवारी की स्थिति में बीजेपी के स्थानीय नेता इस बात से आशान्वित हैं कि उनकी उम्मीदवारी से एसपी को होने वाला नुकसान बीजेपी के लिए संजीवनी सा हो सकेगा।

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