महाराष्ट्र सरकार ने किसानों की मांगें मान लीं
विपक्ष और सहयोगी शिवसेना के दबाव में बीजेपी नीत महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को आंदोलन कर रहे किसानों की मांगें मान लीं जिसमें वन भूमि पर उनका अधिकार शामिल है. महाराष्ट्र सरकार ने किसानों को लिखित में आश्वासन दिया है कि अगले 6 महीने के अंदर उनकी अधिकतर मांगें पूरी कर दी जाएंगी. सरकार के आश्वासन के बाद किसानों ने आंदोलन खत्म कर दिया है. नासिक से मुंबई तक लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर आए किसानों के लिए यह बड़ी जीत है. राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उनकी सभी मांगों को स्वीकार किया जा रहा है. वह माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी की मौजूदगी में दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में धरना दे रहे किसानों को संबोधित कर रहे थे. इससे पहले सोमवार को फडणवीस ने कहा था कि उनकी सरकार किसानों के मुद्दे के प्रति संवेदनशील और सकारात्मक है. किसानों के लंबे मार्च पर विधानसभा में चर्चा के दौरान उन्होंने कहा, ‘इसमें हिस्सा लेने वाले करीब 90 से 95 फीसदी लोग गरीब आदिवासी हैं. वे वन भूमि पर अधिकार के लिए लड़ रहे हैं. वे भूमिहीन हैं और खेती नहीं कर सकते. सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनशील और सकारात्मक है.’ महाराष्ट्र के कई हिस्से में सूखे की स्थिति है और गांवों में कर्ज के चलते लोग आत्महत्याएं करते हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों की मांगों पर चर्चा करने के लिए एक मंत्रिमंडलीय समिति का गठन किया गया है. हम उनकी मांगों को समयबद्ध तरीके से हल करने का निर्णय करेंगे.’ माकपा से जुड़ा संगठन अखिल भारतीय किसान सभा प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है. किसानों ने बिना शर्त ऋण माफ करने और वन भूमि उन आदिवासी किसानों को सौंपने की मांग की है जो वर्षों से इस पर खेती कर रहे हैं. वे हाई स्पीड रेलवे और सुपर हाईवे सहित परियोजनाओं के लिए राज्य सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण करने का भी विरोध कर रहे थे. किसानों का समर्थन कांग्रेस, एनसीपी, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और शिवसेना भी कर रही थी जो राज्य और केंद्र में बीजेपी नीत सरकार में शामिल है. मनसे प्रमुख राज ठाकरे और शिवसेना नेता आदित्य ठाकरे ने रविवार को किसानों से मुलाकात की थी.