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जागरूकता: तंबाकू छोड़ने की जागरूकता के लिए स्वयं तत्पर होना जरूरी

हरिद्वार । जागरूकता के सम्बंध में एक उक्ति बहुत पुरानी है जिसमे यह कहा जाता है कि जब जागो तभी सवेरा परन्तु इसके साथ यह तथ्य भी जुडा हुआ है कि जागरूकता के लिए स्वयं प्रयास किया जाना आवश्यक है। अर्थात स्वयं अन्तः मन के भाव से प्रेरित होकर किया गया कार्य स्वयं की जागरूकता का परिचायक होता है। इस कार्य मे किसी मार्गदर्शन की आवश्यकता नही होती है। कभी कभी व्यक्ति किसी लिखे हुए भाव को पढकर ही इतना प्रभावित हो जाता है कि वह बडी से बडी विसंगति को छोडकर उसके दुष्प्रभाव से समय रहते स्वयं को सुरक्षित कर लेता है। तंबाकू सेवन के लिए भी समाज मे प्रायः यह देखने को मिलता है। तंबाकू स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह हम सभी जानते है और जिस पैकेट से हम तंबाकू खरीद कर लाते है उस पर भी चेतावनी के रूप में यही लिखा रहता है। लेकिन इन सब चेतावनी, तंबाकू मुक्ति अभियान आदि अनेक प्रयासों के बाद भी इसके सफल परिणाम नही मिले है। सरकार ने प्रतिवर्ष इसके निषेध के लिए एक दिन 31 मई भी निर्धारित कर दिया है फिर भी प्रतिवर्ष इसके प्रभाव से होने वाले मुंह का कैंसर, पेट तथा आंतो का कैंसर, अल्सर जैसे भयानक रोग के कारण लाखों लोग अपनी जा गंवा देते है। लेकिन इस महामारी के अभिशाप से फिर भी लोग सतर्क नही है। समाज के आज पान मसाले के रूप में अनेक प्रकार के उत्पाद बिकते है जिनमे न जाने कैसे कैसे हानिकारक केमिकल तथा पदार्थ मिलाये जा रहे है। जो मनुष्य के लिए जीवन के लिए विनाशकारी है। बच्चों एवं महिलाओं पान मसाले एवं धुम्रपान का बढता चलन चिंता का विषय है। जब संस्कारो को देने वाली महिला तथा संस्कारों को पाने वाले बच्चे दोनो ही धुम्रपान से ग्रसित होगे तो समाज का स्वरूप क्या होगा, यह कल्पना से परे है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 7 अप्रैल 1988 को अपने स्थापना दिवस पर विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाने की अनुमति दी। जो बाद में प्रतिवर्ष आज के दिन 31 मई को पूरे विश्व में मनाया जाने लगा। आज फिर से मौका है इस सामाजिक बुराई को छोडने का प्रण लेने का। जो लोग पान मसाला, मद्यपान, धुम्रपान, सिगरेट, बीडी आदि किसी भी प्रकार की हानिकारक वस्तुओं का सेवन करते है, उन सभी को इनको छोडने का प्रण लेना चाहिए क्योकि इनका सेवन करने वाले अपने जीते हुए कैंसर महामारी से जूझते रहते है और मरने के बाद खुद परिवार को आर्थिक संकट से जूझने के लिए छोड जाते है। मानव अधिकार संरक्षण समिति के प्रान्तीय सचिव हेमंत सिंह नेगी का कहना है कि भारत मे सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर पांबंदी है।, इसके बावजूद लचर कानून व्यस्था के चलते इस पर अमल नही हो पाता। भारत मे आर्थिक मामलों की संसदीय समिति पहले ही राष्ट्रीय तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम को अपनी मंजूरी दे चुकी है। आओ, आज हम सब यह प्रण ले कि स्वयं तथा परिवार के सदस्यों को धूम्रपान करने से रोकेगे तथा इसके साथ उनके स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए प्रयास करेगे।

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