जानकारी : 13 जनपदों में 34 फायर स्टेशन एवं 13 फायर यूनिट संचालित
देहरादून। वर्तमान में उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा विभाग में 13 जनपद में 34 फायर स्टेशन एवं 13 फायर यूनिट संचालित हैं। वर्तमान में मानसून सीजन एवं चारधाम यात्रा के दृष्टिगत समस्त फायर स्टेशन/यूनिट के अधिकारी/कर्मचारी अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत आपदा राहत एवं बचाव उपकरणों को क्रियाशील दशा में रखते हुये किसी भी दैवीय आपदा यथा भू-स्खलन बादल फटना, बाढ़, भूकम्प एवं अग्निकाण्ड आदि की घटनाओं के दौरान राहत एवं कार्यों को कुशलतापूर्वक सम्पादित किये जाने में सदैव तत्पर रहते हैं।
उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा विभाग के अधिकारी/कर्मचारी घटनास्थल पर पहुँचकर थ्पतेज तमेचवदकमत के रूप में अग्निशमन तथा राहत एवं बचाव का कार्य सम्पादित करते है साथ ही अग्निकाण्ड एवं आपदा से होने वाली हानि को कम करने के लिये समय समय पर जनपद के फायर स्टेशन/यूनिट के क्षेत्रान्तर्गत पड़ने वाले स्कूल/कॉलेज/ग्रामीण/संवेदनशील क्षेत्रों/वन पंचायत आदि में अग्निकाण्ड एवं आपदा के समय बरतने वाली सावधानियों के बारे में डैमोस्ट्रेशन देकर जागरूक किये जाने का कार्य करती है। फायर सीजन में अग्निशमन एवं आपात सेवा विभाग द्वारा मनाग्नि की घटनाओं को नियंत्रित किये जाने में अपना विशेष योगदान दिया जाता है।
वर्षा ऋतु में अतिवृष्टि होने के कारण राज्य के अधिकांश जनपदों में भू-स्खलन, बादल फटना, बाढ़, इत्यादि की घटनायें घटित होती रहती हैं जिस हेतु आपदा के दृष्टिगत राज्य के पर्वतीय जनपद में पड़ने वाले दूरस्थ क्षेत्रों में अति संवेदनशील/संवेदनशील स्थलों पर यथा जनपद- रूद्रप्रयाग में फाटा, अगस्तमुनी, एवं श्री केदारनाथ धाम, जनपद चमोली में गैरसैण एवं श्री बद्रीनाथ धाम, जनपद टिहरी में घनशाली जनपद पौड़ी में थलीसैंण, जनपद-देहरादून में त्यूनी जनपद उत्तरकाशी में चिन्यालीसौड हैलीपैड, मोरी, पुरोला, नौगाँव जनपद-टिहरी में घनसाली, जनपद पिथौरागढ में डीडीहाट एवं धारचूला जनपद बागेश्वर में गरूड एवं कपकोट आदि स्थलों पर प्रशिक्षित अग्निशमन कर्मियों मय आपदा राहत एवं बचाव उपकरणों सहित फायर यूनिट की तैनाती की गयी है, जो निरंतर जनपद मुख्यालय के फायर स्टेशन के सम्पर्क में रहते हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर जनपद मुख्यालय के फायर स्टेशन से सम्बन्धित फायर यूनिट को तत्काल सहायता पहुँचाई जा सके, वर्तमान में जनमानस द्वारा भी उत्तराखण्ड अग्निशमन एवं आपात सेवा के कर्मियों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र में दिये जाने वाले विशेष योगदान विशेषकर राहत बचाव एवं जीव रक्षा सम्बन्धी कार्यों की मुक्तकंठ से प्रशंसा की जा रही है।