नई सोच एवं नई पद्धति में करें शोधः भगत सिंह कोश्यारी
पंतनगर/रूद्रपुर। पंतनगर विश्वविद्यालय के 112वें अखिल भारतीय किसान मेले एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के द्वितीय दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि राज्यपाल महाराष्ट्र भगत सिंह कोश्यारी के साथ विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान, विधायक, रूद्रपुर, श्री शिव अरोरा, पूर्व विधायक, राजेश शुक्ला, विधायक कपकोट, सुरेश सिंह गढिया एवं अन्य अतिथि मंचासीन थे। मुख्य अतिथि भगत सिंह कोश्यारी न अपने संबोधन में कहा कि किसी कार्य को बोलना सरल होता ह. लेकिन करना कठिन होता है। उन्होंने देश के वैज्ञानिकों को ऋषि की उपमा दी क्योंकि देश के वैज्ञानिक कृषि के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत है। उन्होंने पूर्व इतिहास के बारे में बताते हुए कहा कि दश में अनाज के लिए भुखमरी थी तथा अनाज बाहरी देशों से मंगाया जाता था, परन्तु वर्तमान में हमारा देश अन्य देशों को अनाज गुहैय्या करा रहा है, जिसमें देश के कृषि वैज्ञानिकों की अहम भूमिका रही है। उन्होंने किसानों की आय दोगुनी करने हेतु वैज्ञानिकों, छात्रों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों से नई सोच एवं नई पद्धति में शोध करने की आवश्यकता पर बल दिया। श्री कोश्यारी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी एक राष्ट्र एक उर्वरक योजना के तहत किसानों को अधिक से अधिक लाभ प्राप्त हो इस क्षेत्र में प्रयासरत है। उन्होंने वैज्ञानिकों, छात्रों एवं किसानों को एक साथ मिलकर विचार-विमर्श एवं योजना बनाकर कार्य करने की बात कही। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आज से अपने द्वारा किये गये नये शोधों एवं तकनीकों को उत्तराखण्ड के अन्तिम किसान तक पहुचाने का संकल्प ल ताकि पर्वतीय क्षेत्र का विकास हो सकें। अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डा. मनमोहन सिंह चौहान ने कहा कि मानव संसाधनों को विकसित कर नयी शोध तकनीकों को किसानों तक पहुंचाना ही विश्वविद्यालय का उद्देश्य है। विश्वविद्यालय से 5300 विद्यार्थी विश्व में उच्चतम पदों पर आसीन है और विश्वविद्यालय द्वारा 200 से अधिक तकनीकी विकसित की गयी है। देश में पतनगर के बीज की मांग अत्यधिक है। उन्होंने कहा कि किसान मेले में दो दिवसों में लगभग 10 हजार किसानों द्वारा भ्रमण किया जा चुका है, जिसमें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मचारियों का योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा अधिक रसायनों का उपयोग करने मिट्टी की गुणवत्ता नष्ट हो रही है जिससे किसानों की पैदावार में गिरावट आ रही हैं। उन्होंने पशुपालन में बढ़ी गाय के दुग्ध को अमृत के रूप में बताया तथा इस नस्ल को बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय वैज्ञानिक प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि मध्यम पहाड़ी क्षेत्रों में जैविक खेती तथा अधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रों में पाकृतिक खेती की अपार संभावनाएं है। उद्घाटन सत्र के प्रारम्भ में निदेशक प्रसार शिक्षा, डा. अनिल कुमार शर्मा ने सभी आगन्तुकों का स्वागत किया। कार्यक्रम के अंत में विश्वविद्यालय के निदेशक शोध डा. ए.एस नैन ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मंचासीन अतिथियों द्वारा विभिन्न कृषि साहित्यों का विमोचन किया गया। इस अवसर पर विधायक शिव अरोरा, जिलाध्यक्ष भाजपा विवेक सक्सेना, पूर्व विधायक राजकुमार शुक्ला, बड़ी संख्या अधिष्ठाता, निदेशकगण, किसान, विद्यार्थी, वैज्ञानिक, शिक्षक, अधिकारी एवं अन्य आगंतुकउपस्थित थे। मेले में उत्तराखण्ड के विभिन्न जनपदों के साथ-साथ अन्य प्रदेशों के किसान भी उपस्थित थे।