उत्तराखंड : फ्योली बोलूं कि बुरांस बोलूं गीत पर देर रात तक झूमते रहे लोग
देहरादून। उत्तराखंड के लोकजगत में जब भी लोकगायकी या लोकसंस्कृति का विवरण होगा तो उसमें गढरत्न लोकगायक सुप्रसिद्ध नरेंद्र सिंह नेगी का जिक्र जरूर होगा। उन्होंने उत्तराखंड की संगीत विरासत को आज जिस मुकाम तक पहुंचाया है वह किसी से छुपा नहीं है। रेस कार्स स्थित गुरु नानक पब्लिक महिला इंटर कॉलेज ग्राउंड दा मलंग मेले में शामिल होने के लिए नेगी मंच पर पहुंचे। जहां उन्होंने श्ठंडो रे ठंडो डांडू क्या फुल, जय बद्री केदार समेत कई गाने गाए। उन्होंने अपने इन गानों की शुरूवात की तो लोग देखते ही रह गए। उन्होंने ऐसा तडका लगाया कि श्रोता देर तक झूमते नजर आए। उत्तराखंड संगीत के श्रोताओं को अपनी जादुई आवाज से कायल कर देने वाले लोक गायक नेगी ने रविवार रात को यादगार बना दिया। इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने नेगी दा के गानों का खूब आनंद उठाया। उन्होंने कहा कि नेगी ने पूरे देश में अपने सुरीली आवाज से नाम कमाया है आज वह पूरे भारत में एक लोक प्रसिद्व गायक के नाम से जाने जाते है। उन्हानें मेले आयोजकों का भी आभार जताया कहा कि ऐसे मेले करवाने से पहाड़ की संस्कृति को बल मिलता है और सभी प्रकार के व्यंजनों का लोगों को लाभ उठाने का मौका मिलता है। दा मलंगिया आर्ट्स के द्वारा आयोजित 11 दिवसीय प्रदर्शनी में गढ़रत्न नरेन्द्र सिंह नेगी के प्रोग्राम को लेकर रविवार की रात मेले में खासी भीड़ उमड़ पड़ी। त्रिजुगी नारैं, स्याली राम देई जैसे गाने गाकर नेगी दा ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्याली राम देई, जैसे गीतों ने कार्यक्रम में रंग जमा दिया। दर्शक मंच के पास आकर थिरकने लगे। उन्होंने गीतों के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन किया। मेले के बारहवें दिन शहरवासियों ने आयोजनों का जमकर लुफ्त उठाया। इस दौरान मैदान में लगे विभिन्न स्टॉल्स पर दिनभर शहर वासियों ने खरीदारी करने के साथ स्वादिष्ट व्यंजनों का भी लुत्फ उठाया। आयोजक ऋषि कुमार झा ने बताया कि मेला आगामी 14 फरवरी तक रहेगा। इस दौरान सुबह दस से रात्रि दस बजे तक अलग अलग कार्यक्रमों का आनंद लेने के साथ ही यहां शिल्प कलाओं की खरीददारी भी की जा सकेगी। इस मौके पर लोकल कॉर्डिनेशन करने वाले सिनमिट कम्युनिकेशंस के डायरेक्टर दलीप सिंधी और राजीव मित्तल सहित कई लोग मौजूद रहे। यहां फूड स्टॉल पर खाने वालों की अच्छी भीड़ देखी जा सकती है। एक ओर जहां लखनऊ की चाय की चुस्कियां यहां लोग खूब ले रहे हैं वहीं इंदौर की भुट्टा किस का भी क्रेज बना हुआ है। स्टॉल विक्रेता ने बताया की भुट्टे को पूरी तरह से कद्दू कस करके बेहद ही मेहनत के साथ इस डिश को तैयार किया जाता है।